हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पुणे के रेस्तरां को 'बर्गर किंग' नाम का उपयोग करने की अनुमति दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की आगे सुनवाई के लिए 'बर्गर किंग कॉरपोरेशन' को नोटिस जारी किया है. साथ ही बंबई हाई कोर्ट के निषेधाज्ञा आदेश पर रोक लगाई गई, जिसमें रेस्तरां को ट्रेडमार्क का उपयोग न करने को कहा गया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर ‘बर्गर किंग कॉरपोरेशन’ को नोटिस जारी किया. पीठ ने सात मार्च को कहा कि जिस निर्णय को चुनौती दी गई है उस पर अगले आदेश तक रोक लगाई जाती है. हालांकि, इस विशेष अनुमति याचिका के लंबित रहने के कारण हाई कोर्ट में प्रतिवादी द्वारा दायर याचिका का यथाशीघ्र निपटारा करने में कोई बाधा नहीं आएगी. हम ऐसा इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कह रहे हैं कि प्रतिवादी उसके द्वारा दायर मुकदमे में असफल रहा है क्योंकि मुकदमा खारिज कर दिया गया था.
बंबई हाई कोर्ट ने दो दिसंबर, 2024 को पुणे स्थित रेस्तरां को इस नाम का उपयोग करने से रोक दिया था. कंपनी ने अगस्त, 2024 में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उसी महीने पुणे की एक अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी. पुणे की अदालत के आदेश में भोजनालय के खिलाफ ‘ट्रेडमार्क’ उल्लंघन का आरोप लगाने वाली बर्गर किंग कंपनी के मुकदमे को खारिज कर दिया गया था. ‘बर्गर किंग कॉरपोरेशन’ ने एक आवेदन भी दायर किया था और हाई कोर्ट से पुणे के भोजनालय मालिकों - अनाहिता ईरानी और शापूर ईरानी - पर उसके ‘ब्रांड’ के नाम का तब तक उपयोग करने पर अंतरिम रोक लगाए जाने का अनुरोध किया था, जब तक कि उसकी याचिका की सुनवाई और अंतिम निपटान न हो जाए.
अंतरराष्ट्रीय ‘फास्ट-फूड’ श्रृंखला ने तर्क दिया है कि उसके नाम का इस्तेमाल करने से उसके ब्रांड नाम को भारी नुकसान एवं क्षति हुई है और उसकी साख, व्यापार एवं प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है. पुणे की अदालत ने ‘बर्गर किंग कॉरपोरेशन’ द्वारा दायर 2011 के मुकदमे को खारिज करते हुए कहा था कि शहर स्थित भोजनालय ‘बर्गर किंग’ का संचालन 1992 से किया जा रहा था जो कि अमेरिकी कंपनी द्वारा भारत में अपनी दुकानें से खोलने से पहले की बात है.