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कब किसी मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' कहा जाता है?

सुप्रीम कोर्ट ने बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में कब किसी घटना को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' कहा जाएगा, इसे लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं. साथ ही रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामलों में ही अदालत किसी दोषी को फांसी की सजा दे सकती है.

Written by Satyam Kumar Published : January 21, 2025 6:21 PM IST

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आरजी कर डॉक्टर रेप-मर्डर केस

हाल ही में आरजी कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज मामले में सियालदह कोर्ट द्वारा आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी गई है. अदालत ने इस घटना को रेयरेस्ट ऑफ रेयर मानने से इंकार किया है.

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रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस

अब ऐसे में कौतूहल का विषय है कि अदालत कब किसी घटना को दुर्लभतम मामलों में से एक मानती है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साल 1980 के बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में अपनी गाइडलाइन भी जारी की है.

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नृशंस और क्रूर अपराध

वैसी घटनाएं, जो समाज के चिंतन को स्तब्ध कर दें. जिसे करने में आरोपी की क्रूरता और नृशंसता झलकती हो, साथ ही अपराध से यह अहसास हो कि आरोपी में सुधार असंभव है, तो अदालत वैसी घटनाओं को रेयरेस्ट ऑफ रेयर मानती है.

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बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य मामला

बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य मामला में सु्प्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 4-1 से फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर बताने से पहले अदालत को अपराध करने के गंभीर परिस्थितियों और उसे शमन करनेवाली परिस्थितियों पर निष्पक्ष रूप से गौर करना चाहिए.

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मृत्युदंड का फैसला

अदालत को लगे कि अपराधी से समाज को बचाने के लिए मृत्युदंड ही आखिरी उपाय है, तभी फांसी की सजा दी जानी चाहिए. नहीं, तो आरोपी को सामान्यत: आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए.

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अपराध की परिस्थिति

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुर्लभतम मामले मानने से पहले अदालत को घटना की परिस्थितियों पर विचार करना चाहिए. जज को अपराध क्या है, किन परिस्थितियों में किया गया है और अपराधी के बयानों पर भी विचार किया जाना चाहिए.

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नृशंस अपराध

अदालत को उन बिंदुओं पर ध्यान रखना चाहिए, जो घटना को नृशंस बनाते हैं, साथ ही उन कारकों पर विचार करना चाहिए जो दंड की गंभीरता को कम कर सकते हैं,

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विशिष्ट कारण

साथ ही अदालत को मृत्युदंड देने के लिए किसी विशिष्ट कारणों को आधार बनाना चाहिए.