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चुनाव की तारीख कब बदली जा सकती है? जानें जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 में इसे लेकर क्या प्रावधान है

जन प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 57 के अनुसार रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव आयोग को कारण बताते हुए चुनाव की तारीख टालने की घोषणा कर सकता है.

Written by Satyam Kumar Updated : November 12, 2024 5:38 PM IST

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Bihar By-elections

13 नवंबर को बिहार में चार सीटों इमामगंज, तरारी, रामगढ़ एवं बेलागंज पर उपचुनाव होने जा रहे हैं.

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जन सुराज की याचिका

रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने इस चुनाव (By-election Polls) की तारीख को आगे बढ़ाने को लेकर चुनाव आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

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SC का इंकार

जन सुराज की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप अभी नई पार्टी है, आपको बहुत कुछ सीखने की जरूरत है...

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चुनाव की तारीख बदलने की प्रक्रिया

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि चुनाव आयोग चुनाव की घोषणा करने के दौरान किन बातों का ध्यान रखती है....

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जन प्रतिनिधि अधिनियम 1901

जन प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 57 में चुनाव की तारीख टालने की स्थिति को चर्चा की गई है,

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PRA की धारा 57

57 (1) के अनुसार, जब मतदान केन्द्र (Voting Booth) के पास दंगे या हिंसा होने की स्थिति में,

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प्राकृतिक आपदा की स्थिति

जब मतदान केन्द्र के आसपास प्राकृतिक आपदा की स्थिति बनी हो

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समाजिक तनाव

और किसी अन्य कारण से जब रिटर्निंग ऑफिसर (Returning Officer) को लगे कि मतदान कराना संभव नहीं है,

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रिटर्निंग ऑफिसर

तब रिटर्निंग ऑफिसर इस बात सूचना चुनाव आयोग देते हुए चुनाव के तारीख बदलने की घोषणा कर सकता है.

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रिटर्निंग ऑफिसर का अधिकार

जन प्रतिनिधि अधिनियम 1951 के अनुसार, रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव टालने की घोषणा करने का अधिकार है.