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SC: जांच में खामियों होने के आधार पर आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा जब घटना की पुष्टि करने वाले साक्ष्य मजबूत हों तो केवल विरोधाभास या दोषपूर्ण जांच के दावे पर दोषियों को छोड़ा नहीं जा सकता.

Written by Satyam Kumar Published : January 7, 2025 6:29 PM IST

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सुप्रीम कोर्ट

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जांच में खामियां

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत किसी भी आरोपी को केवल जांच में खामियों होने के आधार पर बरी नहीं कर सकता, बल्कि इसके लिए सभी मौजूदा साक्ष्यों का समुचित मूल्यांकन आवश्यक है.

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सभी साक्ष्यों पर गौर करें

न्यायालय के अनुसार, अभियोजन द्वारा एकत्रित अन्य साक्ष्यों पर विचार करना आवश्यक है, जिसमें गवाहों के बयान और चिकित्सा रिपोर्ट जैसे साक्ष्यों को महत्वपूर्ण माना गया है.

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दो लोगों की मृत्यु से जुड़ा मामला

साल 2002 में RSS और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्यों के बीच हिंसक झड़प में दो लोगों की मृत्यु से जुड़ा है,

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फैसले के खिलाफ अपील

इसमें केरल हाईकोर्ट ने पांच लोगों को दोषी पाया है, जिसके खिलाफ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील किया,

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गवाहों के बयान में भिन्नता

सुप्रीम कोर्ट ने बिरबल नाथ बनाम राज्य राजस्थान के मामले का हवाला देते हुए कहा कि दो बयानों में केवल भिन्नता गवाह की विश्वसनीयता को नकारने के लिए पर्याप्त नहीं है.

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नोसिटुर ए सोसियस' सिद्धांत

अदालत ने 'नोसिटुर ए सोसियस' के सिद्धांत को लागू किया, जिसके अनुसार किसी शब्द का अर्थ वाक्य के संदर्भ से निर्धारित किया जा सकता है.

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अपीलकर्ताओं को राहत नहीं!

अदालत ने अपीलकर्ताओं के पक्ष के जांच में खामियों और गवाहों के बयान में अंतर के दावे को खारिज किया.

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दोषियों को नहीं छोड़ा जा सकता

अदालत ने कहा जब घटना की पुष्टि करने वाले साक्ष्य मजबूत हों तो केवल विरोधाभास या दोषपूर्ण जांच के आधार बनाने से दोषियों को छोड़ा नहीं जा सकता.