
संपत्ति में हिस्सेदारी का मामला
परिवारिक संपत्ति के बंटवारे से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह को लेकर अहम टिप्पणी की है.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट

बेटी ने मांगी हिस्सेदारी
संपत्ति बंटवारे के इस विवाद में परिवार में एक व्यक्ति ने दो शादी की. पहली पत्नी की सबसे बड़ी बेटी ने अपने पिता, दूसरी पत्नी और उनके बेटों से, संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी की मांग की.

मुस्लिम से की शादी: पिता
बेटियों ने दावा किया कि वे वे अपने पिता द्वारा बनाए गए हिंदू संयुक्त परिवार (HUF) में साझेदार हैं. बेटियों ने यह तर्क दिया कि उन्हें संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए, लेकिन पिता ने कहा कि सबसे बड़ी बेटी ने हिंदू धर्म छोड़ दिया है क्योंकि उसने एक पाकिस्तानी मुस्लिम से ब्रिटेन मे विवाह किया है.

बेटी के धर्म परिवर्तन को करें साबित
अदालत ने पिता से बेटी के धर्म परिवर्तन के दावे को साबित करने को कहा. पिता की मृत्यु मुकदमे की कार्यवाही के दौरान ही गई थी. और दूसरी पत्नी और उसके बेटे यह साबित करने में असफल रहे.

शादी से धर्म परिवर्तन नहीं!
महिला ने अपने हलफनामे में स्पष्ट रूप से कहा कि उसने अपने पति से विवाह के बाद भी हिंदू धर्म का पालन किया. इस पर विचार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि विवाह के आधार पर धर्म परिवर्तन का दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता.

बेटियों को मिलेगा हक
अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि महिला ने अपना धर्म नहीं बदला, वह HUF संपत्तियों में अपना हिस्सा मांगने के लिए अधिकार रखती है. पहली पत्नी के दोनों बेटियों को संपत्ति में हिस्सेदारी देने की बात कहीं.