
लिव-इन-रिलेशनशिप
मॉडर्न युग में लिव-इन-रिलेशनशिप का चलन बढ़ता जा रहा है, जो कि भारत के समाजिक ताने-बाने से अलग है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी ऐसा ही एक फैसला सुनाया है. अदालत एक जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी,

शादी के झूठे वादे पर रेप
जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ एक महिला ने शादी का झूठा वादा करके रेप, गर्भपात का आरोप और एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया.

आरोपी ने मांगी जमानत
जमानत की मांग करते हुए याचिकाकर्ता ने बताया कि वह महिला के साथ, पिछले छह महीने से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहा था और उनके बीच आपसी सहमति से संबंध बना है.

Live In को समाजिक स्वीकृति नहीं!
दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा, लिव-इन-रिलेशन को समाजिक स्वीकृति नहीं मिली है, इसमें अगर कोई भी लड़का या लड़की इस संबंध में संलिप्त होकर अपने दायित्व से बचते हैं.

समाज के नैतिक मूल्य
हाई कोर्ट ने आगे कहा, अब समय आ गया है कि लिव-इन-रिलेशनशिप पर विचार करते हुए समाज के नैतिक मूल्य को संरक्षित रखने के उपायों को खोजने का प्रयास करना चाहिए.
