नई दिल्ली: कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने हाल ही में एक महिला के खिलाफ जेजमेंट दिया है जिसने अपनी पांच साल की बच्चे की कस्टडी को उसके पिता को देने से इनकार कर दिया है। यह मामला क्या है और हाईकोर्ट ने इस पर ऐसा निर्णय क्यों दिया, जानिए यहां.
कर्नाटक उच्च न्यायालय में हाल ही में एक पांच साल की बच्ची की कस्टडी का मामला की सुनवाई के बाद बच्ची की मां के खिलाफ सख्त फैसला सुनाया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहां याचिकाकर्ता बच्ची के पिता हैं जो अपनी एक्स-वाइफ से कस्टडी की लड़ाई लड़ रहे थे।
दरअसल मामला यह है कि मार्च, 2022 में फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया था कि 'संरक्षक और प्रतिपाल्य अधिनियम, 1890' (Guardians and Wads Act, 1890) के तहत बच्ची की कस्टडी उसकी मां याचिकाकर्ता को दे देंगी। इस आदेश के बावजूद महिला ने बच्ची की कस्टडी अपने पति को नहीं दी।
बता दें कि महिला का यह कहना है कि उन्होंने अपनी बेटी को अवैध तरह से नहीं रखा हुआ है। महिला ने बताया कि उन्होंने अपने पति से तब तलाक लिया था जब उनकी बेटी तीन साल की थी और अब वो पांच साल की हो गई है और याचिकाकर्ता बेटी की कस्टडी मांग रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि ये कार्रवाई सिर्फ उन्हें परेशान करने के लिए की जा रही हैं और याचिकाकर्ता ने मेंटेनेंस के पैसे भी नहीं दिए हैं।
अदालत ने सुनाया ये फैसला
दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद हाईकोर्ट का यह कहना है कि महिला बच्ची की कस्टडी नहीं रख सकती है और उन्हें फॅमिली ऑर्डर का पालन करना होगा।
इतना ही नहीं, क्योंकि महिला अदालत का आदेश मान नहीं रही थी, इसलिए न्यायाधीश आलोक अरधे (Justice Alok Aradhe) और न्यायाधीश अनंत रामनाथ हेगड़े (Justice Anant Ramnath Hegde) की पीठ ने पुलिस को आदेश दिया है कि वो उस महिला के ऑफिस से संपर्क करें और इस बात का खास ध्यान रखें कि उसकी पेमेंट और अन्य फ़ायदों पर तब तक के लिए रोक लगा दी जाए जब तक वो अपने पति को बेटी की कस्टडी न दे दे।
अदालत ने इस महिला के खिलाफ सिविल और क्रिमिनल कन्टेम्प्ट की कारवाई भी शुरू करवा दी है।