NEET PG 2024: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह शुक्रवार को नीट-पीजी 2024 को पुनर्निर्धारित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा, क्योंकि 'अत्यधिक असुविधाजनक' परीक्षा केंद्रों का आवंटन और अंकों के सामान्यीकरण के बारे में चिंताएं हैं. नीट-पीजी 2024 का आयोजन 11 अगस्त को होना है. अभ्यर्थियों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और प्रतिवादियों को नीट-पीजी 2024 परीक्षा को पुनर्निर्धारित करने के निर्देश देने की मांग की है.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एजवोकेट ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया और इसे तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की. सीजेआई चंद्रचूड़ ने आश्वासन दिया कि मामले को कल (शुक्रवार के दिन) सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
याचिकाकर्ता की मांग का आधार यह है कि कई अभ्यर्थियों को ऐसे शहर आवंटित किए गए हैं, जहां पहुंचना उनके लिए बेहद असुविधाजनक है. इसके अलावा, उन्होंने प्रश्नपत्रों के चार सेटों के सामान्यीकरण के फॉर्मूले का विवरण मांगा है और यह सुनिश्चित करने पर स्पष्टता मांगी है कि सामान्यीकरण फॉर्मूला अभ्यर्थियों को बताया जाए, जिससे प्रक्रिया में मनमानी की किसी भी संभावना को समाप्त किया जा सके.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि परीक्षा शहरों का आवंटन 31 जुलाई को किया गया था और विशिष्ट केंद्रों की घोषणा 8 अगस्त को की जानी है. याचिकाकर्ता ने इस बात की सराहना करते हुए कि परीक्षाओं में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए ऐसा किया गया है, हालांकि, इतने कम समय में छात्रों के लिए अपने विशिष्ट शहरों की यात्रा की व्यवस्था करना बेहद मुश्किल हो गया है.
याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि दो लाख से अधिक छात्रों को परीक्षा में शामिल होना है. याचिका में कहा गया है कि परीक्षा 185 परीक्षा शहरों में आयोजित की जानी है, जिसके परिणामस्वरूप ट्रेन टिकट उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं और साथ ही गतिशील मूल्य निर्धारण के कारण हवाई किराए में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे बड़ी संख्या में छात्रों के लिए अपने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचना लगभग असंभव हो गया है.
याचिका में आगे कहा गया है कि प्रतिवादी ने घोषणा की थी कि परीक्षा की तारीख 11 अगस्त होगी और यह दो बैचों में आयोजित की जाएगी. साथ ही सामान्यीकरण का फॉर्मूला उम्मीदवारों को नहीं पता है, जिससे याचिकाकर्ताओं को आशंका हो रही है. इस बात की संभावना है कि उम्मीदवारों के एक बैच को दूसरे बैच की तुलना में अधिक कठिन प्रश्नपत्र का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए, यह प्रार्थना की जाती है कि परीक्षा आयोजित करने से पहले सामान्यीकरण के सूत्र का खुलासा किया जाना चाहिए ताकि मनमानी की किसी भी आशंका को दूर किया जा सके.