नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (Indian Institute of Technology) में प्रवेश के लिए उच्चतर माध्यमिक परीक्षा (12वीं बोर्ड परीक्षा) में 75 प्रतिशत अंक की पात्रता शर्त के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन (Justice KV Vishwanathan) ने सोमवार को कहा कि अदालत इस मामले में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है, और बताया कि यह शर्त पहले भी मौजूद थी।
आईएएनएस (IANS) की रिपोर्ट के मुताबिक, पीठ ने जोर देकर कहा कि ये शिक्षा के मामले हैं और 'इस तरह के मामलों में हम जाना नहीं चाहते हैं।'
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि छात्रों को कोविड महामारी के दौरान छूट दी गई थी और छात्रों ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा-मुख्य में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं।
आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, वकील ने कहा कि आवेदक ने जेईई मेन्स (JEE MAINS) में 92 पर्सेंटाइल स्कोर किया है और जेईई एडवांस (JEE-Advanced) में शामिल होने के लिए पात्र है लेकिन आवेदक का बोर्ड परीक्षा स्कोर 75 फीसदी से कम है।
वकील ने जोर देकर कहा कि ये छात्र मेधावी हैं और अदालत से उन्हें अनुमति देने का आग्रह किया।
आईएएनएस के अनुसार पीठ ने अपने आदेश में कहा, "हमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं मिला, तदनुसार रिट याचिका खारिज की जाती है और लंबित आवेदनों का निस्तारण किया जाता है"।
शीर्ष अदालत ने आईआईटी में दाखिले के लिए 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंकों के पात्रता मानदंड को चुनौती देने वाली चंदन कुमार और अन्य की याचिका पर यह आदेश पारित किया।