देश के किसी भी नागरिक को पुलिस आमतौर पर बिना अपराध या संदेह के बिना गिरफ्तार नहीं कर सकती है. बिना किसी कारण के गिरफतारी एक नागरिक को मिले स्वतंत्रता और समानता के अधिकार सहित कई अधिकारों का हनन माना जाता है. लेकिन कई मामलों में पुलिस एक नागरिक को बिना अदालत की अनुमति के गिरफ्तार कर सकती है.
किसी भी राज्य की पुलिस या कोई भी अन्य एजेंसी किसी भी व्यक्ति को बिना मजिस्ट्रेट के आदेश या फिर बिना वारंट के भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है. सीआरपीसी (CRPC) या दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में कई ऐसी धाराएं है जिसके तहत इस तरह से गिरफ्तारी हो सकती है.पुलिस एक्ट 1861 की धारा 23 के अनुसार भी पुलिस को कई अधिकार मिले है.आईए जानते है CRPC की उन धाराओं के बारे में जो पुलिस को बिना वारंट के भी गिरफ्तारी की शक्तियां देती है.
इस धारा के तहत पुलिस किसी भी नागरिक को बिना वारंट या कोर्ट की अनुमति के गिरफ्तार कर सकती है. लेकिन पुलिस को उस नागरिक या व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार तब होता है जब पुलिस अधिकारी ऐसा संदेह या जानकारी हो कि जिसे गिरफ्तार जा रहा है उसके द्वारा या उसके ऐसे अपराध में शामिल हो सकता है या होने का संदेह हो जिसके लिए 7 साल जेल की सजा प्रावधान हो.
— किसी व्यक्ति ने पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में गंभीर अपराध किया हो.
— पुलिस को संदेह हो कि व्यक्ति ने गंभीर अपराध किया है और जिसके लिए सात वर्ष तक की जेल या जुर्माना दोनों हो सकती है.
— ऐसे अपराध से जुड़ा पुलिस को उचित कारण का परिवाद या शिकायत प्राप्त हो चुकी है.
— व्यक्ति के इस तरह के किसी अपराध में शामिल होने की पूर्ण जानकारी पुलिस को हो.
— पुलिस के पास विश्वसनीय जानकारी या संदेह हो कि व्यक्ति गंभीर अपराध में शामिल है.
— पुलिस को व्यक्ति पर ऐसे अपराध की साजिश में शामिल होने का संदेह हो.
— पुलिस को उस पर व्यक्ति पर अपराध के सबूत नष्ट करने का गंभीर संदेह हो.
— पुलिस को यकीन हो कि वह ऐसा अपराध कर सकता है उसे रोकने के लिए.
— पुलिस को इस तरह के अपराध जांच के लिए व्यक्ति आवश्यक हो.
— पुलिस को उस व्यक्ति द्वारा पीड़ित व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने, धमकी देने या प्रभावित करने का संदेह हो. सुरक्षा प्रदान
— पुलिस को अपराध में उस व्यक्ति को अदालत में पेश करने की आवश्यकता हो और उसकी मौजूदगी सुनिश्चित नहीं की जा सकती.
— ऐसे अपराध में राज्य सरकार ने उसे अपराधी घोषित कर रखा हो.
— किसी व्यक्ति से कोई ऐसी चीज बरामद हो जो चुराई हुई संपत्ति होने का संदेह पैदा करती है और ऐसा अपराध करने का उचित संदेह किया जा सकता है.
इस धारा के तहत पुलिस किसी ऐसे व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है जिसने पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में गंभीर या असंज्ञेय अपराध किया हो या उस पर इस तरह का परिवाद/ शिकायत दायर किया गया हो और वह व्यक्ति पुलिस अधिकारी के पुछने पर भी अपना नाम और निवास का पता बताने से इनकार करता है.
पुलिस ऐसे व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर सकती है जो पुलिस द्वारा पुछे जाने पर गलत पता या नाम बताएं और उस अधिकारी को यह विश्वास करने का कारण है कि वह गलत बताया गया है.
इस धारा के तहत पुलिस किसी व्यक्ति को बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है. जब उस व्यक्ति के खिलाफ अदालत द्वारा रिहा करने का सशर्त आदेश रद्द कर दिया गया है. अदालत या पुलिस कई बार संदेह पर किसी व्यक्ति को शहर नहीं छोड़ने सहित कई शर्तें लगाई जाती है. लेकिन जब व्यक्ति ऐसी शर्तों को पूरा नहीं करता तो पुलिस अधिकारी बिना वारंट के उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है.
इस धारा के तहत पुलिस किसी भी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है जब उसे संदेह हो कि उस व्यक्ति के चलते संज्ञेय अपराध घटित होगा. एक पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारंट के बिना उस दशा में गिरफ्तार कर सकता है जिसमे ऐसे अधिकारी को प्रतीत होता है कि अपराध का किया जाना किसी अन्य तरीके से नहीं रोका जा सकता.
इस धारा के तहत पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है जिससे को दी गयी सजा को पहले रोक दिया गया या निलंबित किया गया था लेकिन अब सरकार ने सजा को रोकने या निलंबित करने के उस आदेश को रद्द कर दिया हो या रोक लगा दी हो, ऐसी स्थिति में पुलिस अधिकारी बिना वारंट के उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते है.
इस धारा में पुलिस कर्मचारियों एवं अधिकारियों को अपराध रोकने की पूरी स्वतंत्रता दी जाती है. इसमें थाने की सीमा निर्धारित नहीं होती। यदि कोई पुलिस अधिकारी देखता है कि उसके सामने कोई अपराध होने जा रहा है, एवं वह संज्ञेय अपराध है। तब पुलिस अधिकारी ऐसे क्राइम को रोकने के लिए कोई भी कदम उठा सकता है. इसके लिए उसे किसी भी प्रकार के आदेश और अधिकार क्षेत्र की आवश्यकता नहीं है.लेकिन धारा 149 केवल संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए पुलिस को बिना वारंट कार्रवाई करने का अधिकार देती है। असंज्ञेय अपराध के मामले में ऐसा नहीं है.
इस धारा के अनुसार किसी भी पुलिस थाने के मुख्य अधिकारी को यह अधिकार है कि वह बिना वारंट के किसी शराब की दुकान, गेमिंग-हाउस, खुले और व्यवस्थित चरित्रों के रेस्टोरेंट आदि का निरीक्षण कर सकती है।