Pune Porsche Case: मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले में किशोर आरोपी को सुधार गृह (Observation Home) से रिहा करने का आदेश दिया है. पिछली सुनवाई में भी बॉम्बे हाईकोर्ट ने 'नाबालिग' के सदमे में होने की बात कही थी. अब अदालत ने आरोपी को राहत दी है. बॉम्बे हाईकोर्ट का ये फैसला नाबालिग आरोपी की मौसी की याचिका पर आया है जिन्होंने उसके जमानत की मांग को लेकर याचिका दायर की थी.
पुणे पोर्श केस में कुछ दिन पहले ही आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को 'सबूतों से छेड़छाड़' मामले में सेशन कोर्ट से जमानत मिली है. हालांकि, नाबालिग को गाड़ी देने को लेकर हुए मामले में उन्हें जेल में ही रहना पड़ेगा.
बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस मंजूषा देशपांडे और जस्टिस डांगरे की बेंच ने आज ये फैसला सुनाया है. हालांकि अदालत ने 21 जून के दिन ही अपने फैसले को सुरक्षित कर लिया था.
अदालत ने कहा,
"आरोपी का उम्र 18 वर्ष से कम है. उसकी आयु पर विचार करने की जरूरत है."
अदालत ने आगे कहा,
"बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत का फैसला सुनाते हुए कहा कि नाबालिग के माता-पिता और दादा भी जेल में बंद हैं. इसलिए हम उसकी कस्टडी उसकी मौसी को देते हैं."
अदालत ने परिस्थितियों पर विचार कर नाबालिग की कस्टडी को उसकी मौसी को सौंपी है.
पुणे के एक प्रमुख बिल्डर के बेटे, नाबालिग ने कल्यानी नगर इलाके में अपनी पोर्शे कार से एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिससे दो लोगों की मौत हो गई. बाद में पता चला कि दुर्घटना से पहले नाबालिग अपने दोस्तों के साथ एक पब में शराब का सेवन किया था.
नाबालिग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304ए, 279, 337 और 338 के तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने और जीवन की सुरक्षा को खतरे में डालने और लापरवाही से मौत का कारण बनने एवं महाराष्ट्र मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप दर्ज किया गया.
नाबालिग को 19 मई को जमानत दे दी गई थी, लेकिन बाद में उसे एक ऑब्जर्बेशन होम में भेज दिया गया था. अब नाबालिग की मौसी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर में नाबालिग को रिमांड और हिरासत में रखने के JJB के आदेशों को रद्द करने की मांग की है.