नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ [Wrestling Federation of India (WFI)] के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण का विवाद अब बढ़ता जा रहा है. देश की राजधानी नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर देश के कई ख्यातनाम पहलवान लगातार सिंह के खिलाफ धरना देते हुए विरोध जता रहें है.
धरने में ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया जैसे कई खिलाड़ी भी शामिल है. बृजभूषण शरण सिंह 2011 से WFI के अध्यक्ष है और साथ ही लोकसभा सांसद भी है, वह छठी बार लोकसभा के सांसद चुने गए है. सिंह पर आरोप है की इन्होंने और कोच ने कई महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण किया है.
प्रसिद्ध खिलाड़ी विनेश फोगाट ने राष्ट्रीय शिविरों (National Camp) में कोच और WFI अध्यक्ष पर कई महिला लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. विनेश फोगट ने दावा किया है कि राष्ट्रीय शिविर में 10-20 लड़कियों ने उनको अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के बारे में बताया है. दूसरी ओर WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने इन आरोपों का खंडन किया है.
किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसके साथ जबरदस्ती करना, जबरन पकड़ना, छूना, बलात्कार करना या बलात्कार करने का प्रयास करना आदि यौन शोषण कहलाता है. किसी को यौन गतिविधि में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना और उसके लिए उसे इनाम देने की बात करना भी यौन शोषण की श्रेणी में आएगी. महिला और पुरुष दोनों ही यौन शोषण के शिकार हो सकते हैं .
IPC की धारा 354 में यौन शोषण का जिक्र किया गया है। इस धारा में बताया गया है की अगर कोई भी व्यक्ति किसी महिला को आपराधिक बल का उपयोग करके अपमानित करता है या उसकी उसकी शालीनता को ठेस पहुँचाता है तो उस व्यक्ति को एक से तीन साल तक की कारावास की सजा हो सकती है और आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकती है.
IPC की धारा 354A में यौन उत्पीड़न और सजा के बारे में बताया गया है, इस धारा के उप धारा (1) में बताया गया है की अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के सहमति के बिना कोई शारीरिक क्रिया करता है, यौन गतिविधि में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है, महिला की सहमति के बिना अश्लील चीज़ दिखाता है या यौन रंग वाली टिप्पणी करता है तो उसे यौन शोषण मानी जाएगी.
IPC की धारा 354A की उप धारा (2) में बताया गया है की अगर कोई पुरुष महिला के सहमति के बिना कोई शारीरिक क्रिया करता है, यौन गतिविधि में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है या महिला की सहमति के बिना अश्लील चीज़ दिखाता है तो उसे ऐसा करने पर तीन साल तक की सजा हो सकती है या आर्थिक जुर्माना लगायी जा सकती है या दोनों से दंडित की जा सकती है.
IPC की धारा 354A की उप धारा (3) में बताया गया है की अगर कोई व्यक्ति यौन रंग वाली टिप्पणी करता है तो उसे इसके लिए एक साल तक की सजा हो सकती है या आर्थिक जुर्माना लगायी जा सकती है या दोनों से दंडित की जा सकती है.
अगर किसी की यौन शोषण कार्यस्थल यानी कि काम करने के दौरान काम करने वाले जगह में हुआ है तो उसे कार्यस्थल में यौन शोषण कहंगे। कार्यस्थल में महिलाओं के साथ यौन शोषण होते रहे है इसे रोकने के लिए कई कानून बने है, लेकिन फिर भी कार्यस्थल में यौन शोषण हो रहे है. The Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013 के धारा 4 के तहत कार्यस्थल में यौन शोषण जैसे मामलों को देखने के लिए एक समिति का होना जरुरी है जिसमें महिला सदस्य का होना भी जरूरी है.
विशाखा गाइडलाइन्स यौन शोषण के खिलाफ प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश है. इस गाइडलाइन्स को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1997 में दिए गए थे, इस गाइडलाइन्स के आधार पर 2013 में Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act बना.
अगर कार्यस्थल में यौन शोषण के शिकार होते है तो उस कंपनी में इसकी शिकायत कर सकते है या इसकी शिकायत ह्यूमन या सिविल राइट्स इस्टैब्लिशमेंट में की जा सकती है. इसकी शिकायत भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी ऑनलाइन भी की जा सकती है.
यौन शोषण आरोप आरोप साबित होने पर आरोपी को IPC की धारा 354A के तहत तीन साल तक की सजा हो सकती है या आर्थिक जुर्माना लगायी जा सकती है या दोनों से दंडित की जा सकती है. आरोपी की नौकरी भी जा सकती है.