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क्या गिरफ्तारी के समय महिला पुलिस की गैर मौजूदगी बनी Chanda Kochar की रिहाई का कारण?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने ICICI Bank की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को बड़ी राहत देते हुए न्यायिक हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि दोनो की गिरफ्तारी CRPC की धारा 41 ए का उल्लंघन है. दोनो को 1—1 लाख रुपये की नकद जमानत प्रस्तुत करने पर रिहा करने का आदेश दिया गया है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : January 9, 2023 6:49 AM IST

नई दिल्ली: Bombay हाईकोर्ट ने ICICI-वीडियोकॉन ऋण मामले में आरोपी ICICI Bank की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को बड़ी राहत देते हुए न्यायिक हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया है.

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पीके चव्हाण की पीठ ने सुनवाई करते हुए यह माना कि दोनो की गिरफ्तारी CRPC की धारा 41 ए का उल्लंघन है, जो संबंधित पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थिति के लिए नोटिस भेजना अनिवार्य करती है.

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि "तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी कानून और सीआरपीसी की धारा 41 ए के अनुसार नहीं है"इसलिए उन्हें 1.1 लाख रूपये के नकद जमानत मुचलके प्रस्तुत करने के अधीन रिहा किया जाने का आदेश दिया जाता है.

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महिला पुलिस की गैरमौजूदगी

हाईकोर्ट में सोमवार को अदालत की कार्रवाई शुरू होने के साथ ही चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई.

चंदा कोचर की ओर से सीनियर एडवोकेट अमित देसाई ने पैरवी करते हुए कहा कि इस मामले में चंदा कोचर को CRPC की धारा 46 (4) का अनुपालन किए बिना गिरफ्तार किया गया था क्योंकि उनकी गिरफ्तारी के दौरान महिला पुलिस अधिकारी की कोई उपस्थिति नहीं थी.

अधिवक्ता ने कहा कि चंदा कोचर के खिलाफ दायर किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बयान दिया था कि उन्हें मामले में चंदा की हिरासत की आवश्यकता नहीं है.

जिसके बाद पूर्व सीईओ चंदा कोचर ने जांच में ईडी के साथ भी सहयोग किया है. अधिवक्ता ने बताया कि PMLA एक्ट की धारा 50 के तहत चंदा कोचर ने  जांच एजेंसी के समक्ष 14 बयान दर्ज कराए है.

अधिवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान चंदा कोचर ने सीबीआई द्वारा उन्हें जारी किए गए हर समन के साथ सहयोग किया है, जो यह साबित करता है कि उनकी ओर से कोई असहयोग नहीं किया गया है.

क्या कहा दीपक के अधिवक्ताओं ने

हाई कोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान चंदा कोचर के पति और ICICI-वीडियोकॉन ऋण मामले में लाभ प्राप्त करने के आरोपी दीपक कोचर की ओर से सीनियर एडवोकेट विक्रम चौधरी पेश हुए.

विक्रम चौधरी ने दीपक कोचर के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि दीपक को मार्च 2021 में पीएमएलए मामले में जमानत दी गई थी. इसके बाद, उन कार्यवाही पर  निचली अदालत ने रोक लगा दी थी. जिसके बाद भी वे लगातार इन मामलों की जांच में सहयोग कर रहे है.

सीबीआई ने किया विरोध

याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई की ओर से पेश हुए  वरिष्ठ अधिवक्ता राजा ठाकरे ने कहा कि कोचर की गिरफ्तारी के दौरान वैधानिक या संवैधानिक प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन से इनकार गया है.

अधिवक्ता ठाकरे ने कहा कि एजेंसी ने इस मामले में दीपक कोचर की गिरफतारी सभी आरोपियों के बीच हुए लेनदेन की जांच के लिए की गई है. अधिवक्ता ने कहा कि कोचर के पति के रूप में दीपक कोचर और उनके परिवार के सदस्यों ने इस सौदे से फायदा उठाया है जिसकी स्पष्टता प्राप्त करने और सभी संबंधित लेन-देन की व्याख्या करने के लिए गिरफ्तारी की गई है.

24 दिसंबर को गिरफतारी

गौरतलब है कि वीडियोकॉन समूह को 2012 में दिए गए 3,250 करोड़ रुपये के ऋण में धोखाधड़ी और अनियमितताओं के आरोप ICICI Bank की पूर्व सीईओ चंदा कोचर उनके पति दीपक कोचर को सीबीआई ने 24 दिसंबर को गिरफ्तार किया था.

शुरुआत में दोनों को सीबीआई हिरासत में भेजा गया था, जिसके बाद 29 दिसंबर को दोनो को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.