नई दिल्ली: हमारे संविधान ने हमें जहां एक ओर अधिकार दिए हैं वहीं कुछ जिम्मेदारियां भी दी हैं. वो जिम्मेदारी है देश में शांति व्यवस्था बनाए रखना. देश के प्रति ईमानदार रहना, देश में शांति व्यवस्था को कायम रखना. अगर कोई व्यक्ति उन जिम्मेदारियों को पूरा करने में चूक जाता है या उनका उल्लंघन करता है तो भारतीय दंड संहिता (India Penal Code) के तहत उन्हे सजा भी दी जाती है. कुछ ऐसे ही अपराध और सजा के बारे में बात करता है Indian Penal Code, 1860 की धारा (Section) 121 और 121A. आईए जानते हैं इसके अंतर्गत अपराध और सजा का प्रावधान.
इस धारा के बारे में IPC के चैप्टर छ: में बताया गया है. जिसका विषय है राज्य के विरुद्ध अपराधों के बारे में, यानि वो अपराध जो देश के खिलाफ होते हैं या सरकार के खिलाफ. भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना या प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना- यानि भारत सरकार के खिलाफ किसी तरह का युद्ध करना, युद्ध करने के लिए भड़काना या युद्ध करने में मदद करना एक अपराध है.
मृत्यु दण्ड या आजीवन कारावास साथ में आर्थिक दण्ड
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.
जैसे : A भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध में शामिल होता है. यहां A ने इस धारा में परिभाषित अपराध को अंजाम दिया है. इसलिए A इस धारा में बताए गए सजा का पात्र होगा.
ये धारा उन अपराधों के बारे में बात करती है जो भारत या भारत सरकार के खिलाफ अंजाम दिए जाते हैं.
धारा 121A द्वारा दंडनीय अपराधों को करने का षड्यंत्र : इस धारा के अनुसार जो व्यक्ति धारा 121 में बताए गए दंडनीय अपराधों यानि कि जिन अपराधों के लिए सजा मिलती है. इनमें से कोई भी अपराध [भारत] के अंदर या बाहर से भारत के खिलाफ कोई षड्यंत्र करेगा या [केंद्र सरकार को] या किसी [राज्य] की सरकार को डराने, धमकाने का षड्यंत्र करेगा वो अपराधी माना जायेगा जिसके लिए उसे सजा मिलेगी.
दूसरे शब्दों में जो कोई भी भारत के अंदर या बाहर से देश के खिलाफ किसी अपराध को अंजाम देने की साजिश करेगा, या कोशिश करेगा या केंद्र या राज्य सरकार को डरायेगा या धमकायेगा तो ऐसा करने वाला अपराधी माना जायेगा और सजा का पात्र होगा.
सजा का प्रावधान: आजीवन कारावास या 10 साल की सजा दोनों में से कोई भी. साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है.