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Veer Savarkar Defamation Case: सुनवाई में हाजिर नहीं होने पर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर UP Court ने लगाया 200 रूपये का जुर्माना

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर दो सौ रुपये का जुर्माना लगाने के साथ उन्हें अगली तारीख पर पेश होने का आदेश दिया.

राहुल गांधी (पिक क्रेडिट ANI)

Written by Satyam Kumar |Published : March 6, 2025 1:02 PM IST

Savarkar Defamation Case: लखनऊ की एक अदालत ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने से संबंधित 2022 के मानहानि मामले में पेश न होने पर बुधवार को 200 रुपये का जुर्माना लगाया है.

हाजिर ना होने पर राहुल गांधी पर लगा जुर्माना

दिसंबर 2024 के दिन हुए पिछली सुनवाई में, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने गांधी को बुधवार को अदालत में पेश होने के लिए कहा था. हालांकि, राहुल गांधी पेश नहीं हुए और उनकी कानूनी टीम ने व्यक्तिगत पेशी से छूट के लिए एक आवेदन दायर किया. अदालत ने राहुल गांधी पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि यह राशि शिकायतकर्ता के वकील को दी जाएगी.

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की ओर से उनके अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने अदालत में एक प्रार्थना पत्र (अर्जी) दाखिल कर राहुल गांधी के अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न हो पाने की वजह बताई. अर्जी के सहारे अदालत को सूचित किया गया कि राहुल गांधी इस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और बुधवार को एक गणमान्य व्यक्ति से मुलाकात का पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम था. इसमें कहा गया है कि वह अदालत का बहुत सम्मान करते हैं.

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वीर सावरकर की अवमानना का मामला

यह मामला अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे द्वारा दायर एक शिकायत से संबंधित है, जिसमें उन्होंने गांधी पर 17 नवंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला जिले में भारत जोड़ो यात्रा के हिस्से के रूप में एक रैली के दौरान वीर सावरकर का जानबूझकर अपमान करने का आरोप लगाया गया था. उन्होंने सावरकर को अंग्रेजों का नौकर और पेंशन लेने वाला कहा था. अधिवक्ता ने बताया कि बयान के बाद राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) और 505 के तहत मामला दर्ज करवाया है. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का यह बयान समाज में वैमनस्य और घृणा फैलाने के लिए दिया गया था. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि गांधी की टिप्पणी सावरकर को बदनाम करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी और टिप्पणियों को मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित किया गया.

(खबर एजेंसी इनपुट के आधार पर है)