उत्तराखंड (Uttarakhand) सरकार ने हाल ही में समान नागरिक संहिता विधेयक (Uniform Civil Code Bill) को सदन में पेश किया है जो पटल पर आते ही चर्चा का केन्द्र बन चुका है. यूसीसी (UCC) में शादी, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे कई मुद्दों को एक समान कानून के भीतर लाया गया है. यूसीसी विधेयक में लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन (Registration) कराना अनिवार्य है और अगर साथ रहने वाले जोड़ों ऐसा नहीं किया तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है. इस प्रावधान का काफी विरोध भी हो रहा है.
उत्तराखंड यूसीसी को सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय पैनल ने काफी विचार-विमर्श के बाद तैयार किया है. इस समिति ने दो फरवरी, 2024 को यूसीसी की अंतिम रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को पुष्कर सिंह धामी(Pushkar Singh Dhami) को दिया था. यूसीसी नागरिक जीवन(Civic Life) के विभिन्न विषयों को समाहित करता है. ये अलग- अलग धर्मों के कानून को एक समान्य नियम से संचालित करता है.
उत्तराखंज समान नागरिक संहिता 2024 को सदन में रखते में समय वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यूसीसी विधेयक देवभूमि उत्तराखंड के सभी नागरिकों एक समान कानून देने के उद्देश्य से लाया गया है. ये राज्यवासियों के लिए गर्व का विषय है. हम इस यूसीसी को पारित करने वाले पहले राज्य बनेंगे.
राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों के लिए यूसीसी में कड़े प्रावधान हैं. यूसीसी ने इन रिश्तों का रेजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश दिया गया है. अगर जोड़ा ऐसा नहीं करता है, तो उसे जेल जाना पड़ सकता है. उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक में लिव-इन से जुड़े प्रावधान के मुख्य बिंदु क्या हैं, आइए जानते हैं..
लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन है जरूरी
विधेयक के अनुसार, एक महीने से अधिक समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को संबंधित जिलाधिकारी के पास अपना रिश्ता रजिस्टर कराना होगा. वहीं, इस कानून के अनुसार, राज्य से बाहर रहने वाले जोड़े भी अपना रिश्ता रजिस्टर करा सकते हैं.
रजिस्ट्रेशन न कराने पर दंड का प्रावधान
रजिस्ट्रेशन ना कराने पर तीन महीने तक की कैद या ₹10,000 तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. गलत जानकारी देने पर सजा और बढ़ सकती है, जिसमें तीन महीने तक की कैद और ₹25,000 तक का जुर्माने की बात है.
18 वर्ष है न्यूनतम आयु सीमा
18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए लिव-इन रिलेशनशिप में रहना प्रतिबंधित है. अगर साथी में से कोई 21 साल से कम उम्र का है, तो रजिस्ट्रार को उसके माता-पिता या अभिभावकों को इससे अवगत कराना पड़ेगा.
लिव-इन रिलेशनशिप में सरकार का हस्तक्षेप करना चर्चा का विषय बना हुआ है. कई पक्षों ने इस पर आपत्ति भी जताई. इस प्रावधान का विभिन्न संगठनों और लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है. कुछ लोगों के अनुसार यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है. फिलहाल, यह विधेयक विधानसभा में विचारधीन है और इस पर अंतिम निर्णय होना बाकी है.