देहरादून: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (Uttarakhand Uniform Civil Code) का ड्राफ्ट विशेषज्ञ कमेटी ने तैयार कर लिया है। कमेटी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऐलान किया कि ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और जल्द ही राज्य सरकार को सौंपा जाएगा। कमेटी ने 2 लाख 31 हजार सुझाव के आधार पर ड्राफ्ट को तैयार किया है।
आईएएनएस (IANS) के अनुसार, उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार होने के बाद समिति की अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई (Justice Ranjana Prakash Desai) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया।
रंजना देसाई ने कहा कि विधि आयोग (Law Commission of India) पहले ही इस मुद्दे को लेकर काम करने पर विचार कर रहा है। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट ड्राफ्ट कोड के साथ जल्द ही मुद्रित कर उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand) को सौंपी जाएगी।
समाचार एजेंसी भाषा (Bhasha) के अनुसार, इस समिति की प्रमुख देसाई ने कहा कि समिति ने सभी प्रकार की राय और चुनिंदा देशों के वैधानिक ढांचे सहित विभिन्न विधानों एवं असंहिताबद्ध कानूनों को ध्यान में रखते हुए मसौदा तैयार किया है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, समिति ने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित विभिन्न पारंपरिक प्रथाओं की ‘‘बारीकियों’’ को समझने की कोशिश की है। समिति ने ड्राफ्ट तैयार करते समय राज्य के राजनेताओं, मंत्रियों, विधायकों और आम जनता का मत भी सुने हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह मसौदा लागू होता है, तो "हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना मजबूत होगा।"
देसाई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया, ‘‘मुझे आपको यह जानकारी देते हुए काफी प्रसन्नता हो रही है कि उत्तराखंड के लिए प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रारूप संहिता के साथ समिति की रिपोर्ट जल्द ही प्रकाशित की जाएगी और उत्तराखंड सरकार को सौंप दी जाएगी।’’
भाषा की रिपोर्ट ने बताया कि देसाई ने सवालों का जवाब देते हुए यूसीसी के मसौदे या समिति की रिपोर्ट का विवरण सांझा करने से इनकार कर दिया और कहा कि इसे पहले राज्य सरकार को सौंपना होगा। उन्होंने कहा, "हमारा जोर महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित करना है। हमने भेदभाव को खत्म कर सभी को एक समान स्तर पर लाने का प्रयास किया है।"
देसाई ने कहा कि समिति ने मुस्लिम देशों सहित विभिन्न देशों में मौजूदा कानूनों का अध्ययन किया है लेकिन उनके नाम शेयर करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "हमने विधि आयोग की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया है। यदि आप हमारा मसौदा पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि समिति ने हर चीज पर विचार किया है।"
जुस्तके देसाई ने यह भी बताया कि लिखित प्रस्तुतियों के साथ-साथ जन संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से जनता की राय जानने के लिए पिछले साल एक उप-समिति का गठन किया गया था। देसाई ने कहा कि उप-समिति ने अपने जन संवाद कार्यक्रम की शुरुआत सीमावर्ती आदिवासी गांव माणा से की थी और उत्तराखंड के सभी जिलों को शामिल करते हुए 40 अलग-अलग स्थानों का दौरा किया।
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का समापन 14 जून को दिल्ली में एक सार्वजनिक चर्चा के साथ हुआ था जिसमें दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों ने भाग लिया था। उन्होंने कहा कि उप-समिति की देहरादून और अन्य स्थानों पर 143 बार बैठकें हुईं और सार्वजनिक चर्चा के दौरान लगभग 20,000 लोगों के साथ बातचीत की।
इससे पहले 2 जून को जस्टिस रंजना देसाई और उत्तराखंड के लिए यूसीसी का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सदस्यों ने विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी और सदस्यों केटी शंकरन, आनंद पालीवाल और डीपी वर्मा से मुलाकात की थी। उस समय जस्टिस रंजना देसाई ने कहा था कि विधि आयोग इस मुद्दे को लेकर काम करने पर विचार कर रहा है। प्रदेश में सब-कमेटी ने खुद 143 बैठक की। कमेटी ने 63 बैठक की, 20,000 लोगों से भी मुलाकात की गई है। और, उनके सुझाव लिए गए हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) का कहना है कि यूसीसी का मसौदा लेकर समिति, लोगों के बीच गई और एक साल से ज्यादा समय तक काम किया। समिति ने 2 लाख से ज्यादा लोगों, कई हितधारकों, संगठनों और बुद्धिजीवियों से बात की। जल्द ही ड्राफ्ट सरकार को मिल जाएगा। इसके बाद सरकार आगे की कार्रवाई करेगी। राज्य को केंद्र सरकार का भी सहयोग प्राप्त है।
भाषा के हिसाब से उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल मई में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था। इस समिति का गठन उत्तराखंड के निवासियों के व्यक्तिगत दीवानी मामलों से जुड़े विभिन्न मौजूद कानूनों पर गौर करने और विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने और रखरखाव जैसे विषयों पर मसौदा कानून या कानून तैयार करने या मौजूदा कानूनों में बदलाव का सुझाव देने के लिए किया गया था।
इस संबंध में एक अधिसूचना 27 मई, 2022 को जारी की गई थी।