उत्तराखंड विधानसभा (Uttrakhand Legislative Assembly) में समान नागरिक कानून संहिता (Uniform Civil Code) विधेयक सदन के पटल पर बहस के लिए लाया गया है. विधेयक में समाजिक और धार्मिक (Social and Religious) बदलावों पर जोड़ दिया गया है. UCC में बहु-विवाह, हलाला और इद्दत पर रोक लगाने के साथ लिव-इन रिलेशिप और शादी का रजिस्ट्रेशन कराने का प्रावधान है. यूसीसी विधेयक को उत्तराखंड विधानसभा में बीजेपी ने लाया है. बीजेपी को राज्य में पूर्ण बहुमत है. ऐसे में इस बिल का बहुमत से पारित होना तय माना जा रहा है. जानें क्या है इस विधेयक की खास बातें...
उत्तराखंड UCC विधेयक के ड्राफ्ट में 400 से ज्यादा धाराएं होने की बात कहीं गई है. इस UCC पर ड्राफ्ट कमेटी की रिपोर्ट कुल 780 पन्नों की है. इसे बनाने के दौरान ड्राफ्ट कमेटी ने कुल 72 बैंठकें की. वहीं, इस विधेयक को बनाने में तकरीबन 2 लाख 33 हजार लोगों ने अपने विचार रखें.
उत्तराखंड UCC बिल में महिला अधिकारों पर प्रमुखता से ध्यान दिया गया है. इस बिल में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर लड़को के समान करने की बात है. बिल में बहुविवाह जैसे समाजिक कुरीतियों पर रोक लगाने का भी जिक्र है. UCC बिल में बेटियों को बेटों के समान विरासत में हक देने का प्रावधान है. साथ ही मुस्लिम महिलाओं को बच्चा गोद लेने के हक दिया गया है.
उत्तराखंड UCC बिल में लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) का रजिस्ट्रेशन कराने का नियम है. वहीं शादी का रजिस्ट्रेशन कराना सभी के लिए अनिवार्य है. अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन न कराने पर सरकारी सुविधाओं को रोकने का प्रावधान है.
उत्तराखंड UCC बिल में हलाला और इद्दत पर रोक लगाने की बात की कहीं गई है. ये मुद्दे हमेशा से ही विवादों में रही है. वहीं शादी से जुड़े मामले में भी बदलाव चर्चा का विषय बना हुआ है. बिल में कहा गया है कि अगर पति की मृत्यु पर पत्नी ने दोबारा शादी की, मुआवजे में माता-पिता का हक होने का प्रस्ताव है. वहीं, पत्नी की मृत्यु होने पर उसके माता-पिता की जिम्मेदारी पति पर होगी. अगर पति-पत्नी के बीच आपसी विवाद बढ़ जाने पर बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी दादा-दादी को दी जाएगी.
ये उत्तराखंड UCC बिल राज्य के 4% जनजाति समूहों पर लागू नहीं होगा. ये फैसला इन समूहों के कम जनसंख्या को ध्यान में रखकर लिया गया है. कुल मिलाकर, उत्तराखंड UCC विधेयक सामाजिक सुधारों और महिलाओं के अधिकारों पर जोर देता है, साथ ही पारदर्शिता और कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास करता है. हालांकि, कुछ समुदायों और मुद्दों को लेकर इस पर बहस जारी है.