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Sexual Harassment के मामले को खारिज करने के लिए U'khand HC ने आरोपी को दी इतने पेड़ लगाने की सजा!

ऑनलाइन यौन शोषण के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक बेहद अतरंगी फैसला सुनाया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मामला खारिज करने के लिए अदालत ने आरोपी को एक सीमित समय के अंदर 50 पेड़ लगाने की सजा सुनाई है; इसी के बदले में मामले को खारिज किया जाएगा...

Uttarakhand High Court

Written by Ananya Srivastava |Updated : August 1, 2023 12:40 PM IST

नई दिल्ली: उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttarakhand High Court) में एक मामला सामने आया है जो ऑनलाइन यौन शोषण (Online Sexual Harassment) को लेकर है। इस मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने मामले को खारिज करने के आरोपी के अनुरोध को एक शर्त पर मानने की बात कही।

उत्तराखंड हाईकोर्ट का यह कहना है कि अगर आरोपी एक महीने के अंदर 50 पेड़ लगाता है यानी वृक्षारोपण करता है, तो अदालत इसके बदले में मामले को खारिज कर देगी।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय का अतरंगी फैसला!

जैसा कि हमने आपको अभी बताया, हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट के समक्ष ऑनलाइन यौन शोषण का एक मामला सामने आया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा (Justice Sharad Kumar Sharma) की एकल पीठ ने आरोपी को निर्देश दिया है कि अगर वो बागवानी विभाग (Horticulture Department) के पर्यवेक्षण में, एक महीने के अंदर, अपने जिले या तालुक के एक निर्धारित क्षेत्र में अपनी कीमत पर 50 पेड़ लगाएंगे, तो यह मामला रद्द कर दिया जाएगा।

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अदालत ने यह भी कहा है कि अगर आरोपी ऐसा करने से चूक जाते हैं, तो इस मामले का अपने आप रिवाइवल हो जाएगा और आरोपी को दर्ज मामले के हिसाब से सजा सुनाई जाएगी। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस मामले में आपराधिक कार्यवाही को तब बंद माना जाएगा जब बागवानी विभाग की तरफ से एक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा कि आरोपी ने 50 पेड़ लगा दिए हैं।

जानें क्या था मामला

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि याचिकाकर्ता ने एक महिला को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी जो एक्सेप्ट हो गई थी; कुछ दिनों बाद याचिकाकर्ता महिला को आपत्तिजनक और अभद्र तस्वीरें और वीडियोज भेजने लगे। इसी के चलते महल ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जिससे आईपीसी की धारा 354A और आईटी अधिनियम की धारा 67 और 67A के आधार पर मामला दर्ज हो गया।

इसके बाद चार्जशीट तैयार की गई और आरोपी को अदालत में पेशी हेतु समन भेजे गए। कानूनी कार्यवाही के शुरू होने से परेशान आरोपी ने मामले को खत्म करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान अदालत को यह बताया गया कि क्योंकि याचिकाकर्ता ने माफी मांग ली थी, शिकायतकर्ता मामला खत्म करने के लिए तैयार थी।

इसपर स्टेट काउंसिल का यह कहना है कि क्योंकि आईपीसी की धारा 354A के अंतर्गत आने वाला अपराध आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 320 के तहत 'कम्पाउंडेबल' नहीं है, मामले को इस तरह खारिज नहीं किया जा सकता है।

दोनों पक्षों के बीच के समझौते को अहमियत देते हुए अदालत ने मामले को रद्द करने का फैसला किया लेकिन वृक्षारोपण की शर्त रख दी।