Non Consensual Images, Cyber Crimes: हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा साइबर अपराधों, विशेष रूप से बिना इजाजत महिलाओं की ली गई तस्वीरों को शेयर करने के मामलों की जांच से चिंता जाहिर की. अदालत ने साइबर अपराधों की जांच में यूपी पुलिस की गुणवत्ता को बेहद कमतर पाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी रेप से जुड़े एक मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें आरोपी के पास से पुलिस ने मोबाइल जब्त की थी लेकिन फोरेंसिक जांच के लिए आगे नहीं भेजा था. हालांकि, हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत की मांग वाली याचिका खारिज की है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में, जस्टिस अजय भनोट की बेंच ने 'अश्लील वीडियो'
के मामले पर सवाल उठाया है. बेंच ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि महिलाएं इस तरह की अपराधों में महिलाएं आसान शिकार होती है.
अदालत ने कहा,
"साइबर अपराध समाज के लिए एक खतरा बनता जा रहे हैं. विशेष रूप से लोगों की अश्लील तस्वीरें कैप्चर करना, सेव करना या डिजिटल उपकरणों के माध्यम से शेयर करना समाज में एक गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है."
अदालत ने पुलिस की जांच में लापरवाही को देखते हुए चिंता जाहिर की. पुलिस को आरोपी के पास से एक मोबाइल जब्त किया, जिसे जांच के लिए फोरेंसिक में भेजने में विफल रहीं. पुलिस द्वारा जांच में लापरवाही बरतने पर अदालत ने चिंता जाहिर की. वही, एसएसपी श्लोक कुमार ने अदालत को अवगत कराया कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है.
अदालत ने आगे कहा,
"पुलिस अधिकारियों को अपनी जांच कौशल और दक्षता को बढ़ाना होगा ताकि वे इस चुनौती का सामना कर सकें,"
अदालत ने पुलिस विभाग को निर्देश दिया कि इस तरह के मामलों की जांच में अपनी कुशलता को बढ़ाने पर ध्यान दें, जिससे वे साइबर अपराधों की जांच कुशलता से कर सकें.
अदालत ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह आदेश की एक प्रति सरकारी अधिवक्ता (Public Prosecutor) को भेजे ताकि उसे उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पुलिस महानिदेशक के समक्ष रखा जा सके.