नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश में ग़ैर लाइसेंसी हथियार के रखने और इस्तेमाल के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश पुलिस महानिदेशक को दो अलग अलग हलफनामे दायर करने के निर्देश दिए है.
सुप्रीम कोर्ट डीजीपी से कहा है कि वह उत्तर प्रदेश में बिना लाइसेंस वाले हथियारों के खतरे से निपटने के लिए उठाए गए कदमों और पिछले वर्षों की संख्या का विवरण पेश करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों और केन्द्र शाषित प्रदेशो को भी नोटिस जारी करते हुए unlicensed firearms से निपटने के लिए उठाए गए कदमों और पिछले वर्षो के दौरान की संख्या का पूर्ण विवरण पेश करने के आदेश दिए है.
सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय के माध्यम से केन्द्र सरकार को भी नोटिस जारी करते हुए implementation of Arms Act और इसे मजबूत बनाने के सुझाव पर अपना जवाब पेश करने के निर्देश दिए है. केन्द्र से इस मामले में सुझाव मांगे है कि शस्त्र अधिनियम के कार्यान्वयन और कानून को मजबूत किस तरह किया जा सकता है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश और देश में बढते ग़ैर लाइसेंसी हथियार के रखने और इस्तेमाल के बढ़ते मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया है. कोर्ट ने इस मामले में पूछा था कि अभी तक ग़ैरकानूनी हथियार रखने और इसके इस्तेमाल के आरोप में आर्म्स एक्ट के तहत कितने मामले दर्ज किए गए है. इसके साथ ही गन कल्चर को जड़ से समाप्त करने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी मांगी थी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला जीवन के अधिकार को प्रभावित करने वाला गंभीर मामला है. इसलिए सभी राज्यो और केन्द्र शाषित प्रदेशों को भी नोटिस जारी किया जाता है.
जस्टिस के एम जोसेफ और जटिस्स बी वी नागरत्ना की पीठ एक 73 वर्षिय हत्या के आरोपी की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान बिना लाइसेंस के हथियारों के बढते चलन का जिक्र आने पर पीठ ने उत्तरप्रदेश सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था.
सुनवाई के दौरान जहां याचिकाकर्ता की ओर से अदालत के समक्ष फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट का हवाला दिया गया जिसके अनुसार, जो गोली चलाई गई थी, वह उसके पास से बरामद बंदूक से मेल नहीं खाती थी.
जिसके जवाब में अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि इस मामले में बिना लाइसेंस के हथियार का प्रयोग किया गया है. इससे अपराध करने के बाद आरोपी आसानी बचने का रास्ता ढूंढ लेते है.
पीठ ने बिना लाइसेंस के हथियारों के बढते प्रयोग पर चिंता जताते हुए इस मामले में स्व प्रेरणा प्रसंज्ञान लेते हुए उत्तरप्रदेश सरकार को आदेश दिए है कि वह बिना लाइसेंस के हथियारों के कब्जे और उपयोग से जुड़े मुकदमों की संख्या और उन मुकदमों में की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करे.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया थाा.
मामले के अनुसार 73 वर्षिय याचिकाकर्ता पर आरोप है कि आपसी रंजीश के चलते उसने अपने साथियों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता और सात अन्य पर कथित रूप से अंधाधुंध फायरिंग की थी. इस फायरिंग के दौरान मृतक की हत्या की गई.
याचिकाकर्ता आरोपी ने अपनी उम्र और स्वास्थ्य के आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष जमानत याचिका दायर करते हुए मानवीय आधार पर जमानत का अनुरोध किया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए उम्र और स्वास्थ्य के तर्क को भी मानने से इंकार करते हुए जमानत खारिज कर दी थी.
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए चुनौती दी. याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में तर्क दिए कि इस मामले में एक सह-आरोपी को पहले ही नियमित जमानत दी जा चुकी है और वह 5 साल से अधिक समय से हिरासत में हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल जमानत याचिका पर सुनवाई पेडिंग रखते हुए उत्तरप्रदेश राज्य से बिना लाईसेंस हथियारों को लेकर जानकारी मांगी है.