कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक रूसी महिला के बच्चों के निर्वासन को अस्थायी रूप से रोकने के लिए हस्तक्षेप किया है. अदालत ने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (UNRC) के अनुसार बच्चों के सर्वोत्तम हितों पर विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया है. ये रूसी महिला नीना कुटीना (40) को उनकी दो बेटियों प्रिया (6) और अमा (4) के साथ 11 जुलाई को उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्ण में रामतीर्थ गुफा से पुलिस ने बचाया था. कुटीना वीजा की अवधि समाप्त होने के बावजूद यहां रह रही थी.
जस्टिस एस सुनील दत्त यादव का यह निर्णय एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जो बच्चों के खिलाफ जारी अचानक निर्वासन आदेश को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि निर्वासन प्रक्रिया में बच्चों के कल्याण की अनदेखी की गई तथा यूएनसीआरसी के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया. याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता बीना पिल्लई ने किया. भारत सरकार की ओर से इस मामले में पेश हुए सहायक सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने अदालत को बताया कि बच्चों के पास वर्तमान में वैध यात्रा या पहचान दस्तावेज नहीं हैं. इस दलील के आधार पर, कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर तत्काल निर्वासन उचित नहीं है.