नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में कॉलेज के डीन प्रो (डॉ) बलराम पाणि और विधि संकाय में प्रोफेसर डॉ आशुतोष मिश्रा को यूके के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के द्वारा प्रतिष्ठित सोल ऑफ इंडिया अवार्ड 2023 से सम्मानित किया जाएगा. जानकारी के अनुसार, राष्ट्र-निर्माण में उनके असाधारण योगदान के एक महत्वपूर्ण उत्सव में 10 जून को उन्हे यह पुरस्कार दिया जाएगा.
सोल ऑफ इंडिया अवार्ड एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है. यह अवॉर्ड उन लोगो को दिया जाता है जिन्होंने अपने क्षेत्र में अविश्वसनीय समर्पण और उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल कर देश के विकास में योगदान दिया है.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि प्रो डॉ बलराम पाणि को शिक्षा के क्षेत्र में, विशेष रूप से पर्यावरण रसायन विज्ञान और जल प्रदूषण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देकर राष्ट्र-निर्माण में मदद करने के लिए उन्हे इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा.
अकादमिक की बात करें तो पाणि ने जेएनयू से पर्यावरण विज्ञान में PHD और Environmental Sciences में MPhil की डिग्री हासिल की है. वहीं रसायन विज्ञान में एमएससी किया है संबलपुर विश्वविद्यालय उड़ीसा से. प्रो पाणि अपने व्यापक शोध कार्य के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए भी फेमस हैं.
उन्होंने प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में 69 रिसर्च पेपर प्रकाशित किए हैं और 33 पुस्तकों और अध्यायों को तैयार करने में योगदान दिया है. प्रो पाणि अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों के अलावा, भारत सरकार के मंत्रालयों में विभिन्न समितियों में मूल्यवान सदस्य के रूप में भी कार्यरत हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ विभाग के जाने माने प्रोफेसर Dr Ashutosh Mishra को शिक्षा के क्षेत्र में, खास कर कानून के क्षेत्र में, अपना योगदान देकर देश को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा.
अपनी गहन विशेषज्ञता और प्रभावशाली शोध के माध्यम से, डॉ मिश्रा ने कानूनी शिक्षा, कानूनी पेशे को आकार देने और अपनी प्रतिबद्धता और राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) और कई अन्य संगठनों के साथ सहयोग के माध्यम से न्याय तक पहुंच को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
उन्होंने बतौर डायरेक्टर प्रतिष्ठित 3rd International Conference on Mediation में अपना योगदान दिया. फैकल्टी ऑफ लॉ, और दिल्ली स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी एंड गवर्नेंस, इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति के सहयोग से आयोजित इस कांफ्रेंस में 10000 से अधिक न्यायाधीशों, विद्वानों को एक साथ लाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है .