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राज्य का प्रतिकूल तरीके 'संपत्ति को कब्जाना' लोगों के विश्वास को ठेस पहुंचाएगा, भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निजी संपत्ति पर प्रतिकूल कब्जे की अनुमति देना नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करता है और सरकार में जनता का विश्वास खत्म करता है.

सुप्रीम कोर्ट

Written by My Lord Team |Updated : November 20, 2024 9:58 AM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निजी संपत्ति पर प्रतिकूल कब्जे की अनुमति देना नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करता है और सरकार में जनता का विश्वास कम करेगा. पीठ ने एक निजी पक्ष को कब्जा बहाल करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार की अपील को खारिज किया है. बता दें कि यह विवाद हरियाणा के बहादुरगढ़ में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भूमि से संबंधित है, जो दिल्ली और बहादुरगढ़ को जोड़ता है.

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने हरियाणा सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने एक निजी पक्ष को भूमि का कब्जा बहाल करने का आदेश दिया गया था, जिस पर राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने अपना दावा किया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें अपीलकर्ताओं की दलीलों में कोई दम नहीं दिखता. उच्च न्यायालय का फैसला ठोस कानूनी सिद्धांतों और साक्ष्यों के सही मूल्यांकन पर आधारित है. वादी (निजी पक्ष) ने मुकदमे की संपत्ति पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया है, और सरकार अपने ही नागरिकों के खिलाफ प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकती.

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(खबर PTI इनपुट से है)