Private Hospitals Fee: प्राइवेट अस्पतालों की मंहगी फीस से शिकायतें किसे नहीं होगी? जवाब निश्चय ही ये होगा कि हर वो व्यक्ति जो इलाज के लिए निजी अस्पतालों में गए होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर केन्द्र से जवाब की मांग की है. शीर्ष न्यायालय ने केन्द्र से पूछा कि आप मार्केट कॉम्पिटिशन पर आधारित प्राइवेट अस्पतालों की फीस को देश भर में कैसे एक समान (Uniform) कर सकते हैं? ऐसा करने के क्या परिणाम होंगे? अदालत ने केन्द्र को नोटिस जारी करते हुए जवाब की मांग की है.
जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने बातें कहीं. बेंच निजी अस्पतालों की फीस देश भर में एक-समान करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केन्द्र से जवाब की मांग की. केन्द्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी पेश हुए तो सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने मामले में एक पार्टी की ओर से पेश हुए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे प्राइवेट अस्पतालों का पक्ष रखने के लिए कोर्ट के सामने मौजूद रहे.
बेंच ने कहा,
"निजी अस्पतालों में भी एक समान फीस कैसे हो सकती हैं? यह सब मार्केट फैर्सेस पर निर्भर करती है. अगर यहां पेश होने वाले वकीलों के लिए एक समान फीस करने के नियम लागू हो, तो ऐसे में क्या होगा?”
बेंच ने इस मामले को केन्द्र सरकार की ट्रीटमेंट रेट को जारी करने वाले मामले के साथ टैग कर दिया है. यह मामला पहले से लंबित है जिसमें केन्द्र से क्लिनिकल इसटैबलिस्मेंट रूल्स, 2010 के तहत अस्पतालों को ट्रीटमेंट रेट तय करने के मामले पर जवाब की मांग की गई है.
जस्टिस प्रसन्ना वी वराले और जस्टिस सुधांशु धूलिया की डिवीजन बेंच ने भी, जो इसी मामले की सुनवाई कर रही थी, ने आपत्ति जताई कि कैसे सब्सिडी के तहत जमीनें खरीद कर बनी प्राइवेट अस्पताल आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए बेड नहीं रखती है. जबकि नियम के अनुसार, ऐसे निजी अस्पतालों को करीब 25% बेड आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए रखनी है. शायद ही कहीं ऐसा देखने को मिलता है.
बेंच ने कहा,
"ये सभी निजी अस्पताल सब्सिडी वाली जमीन लेते समय कहते हैं कि वे कम से कम 25 प्रतिशत बिस्तर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित करेंगे लेकिन ऐसा कभी नहीं होता है."
जस्टिस धूलिया ने आगे कहा,
"लेकिन क्या आप इस तरह की नीति को चुनौती दे सकते हैं? इससे नार्थ-ईस्ट के दूरदराज क्षेत्रों में ट्रीटमेंट रेट प्रभावित होंगी."
बेंच ने अटॉर्नी जनरल से इस विषय पर जवाब देने की मांग की थी.
इंडियन ऑप्थेलमोलॉजी सोसायटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मेट्रोपॉलिटन और दूर-दराज के गांवों में चिकित्सा दरों के एक-समान करने पर सवाल उठाया. शीर्ष न्यायालय ने केन्द्र से इसी याचिका पर सुनवाई करते केन्द्र से जवाब की मांग की है. केन्द्र कैसे देशभर में प्राइवेट अस्पतालों के ट्रीटमेंट रेट को एक समान करेगी.
नोट: यह खबर हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे मीडिया के छात्र सत्यम कुमार ने लिखी है.