Women Wearing Sindoor: हाल ही में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के एक फैमिली कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने शादीशुदा महिलाओं द्वारा सिंदूर लगाने को लेकर बड़ी बात कही है. कोर्ट ने कहा, हिंदू रीतिरिवाजों के अनुसार, सिंदूर लगाना विवाहित महिलाओं का धार्मिक कर्तव्य है. यह उनके विवाहित होने का सिंबल भी है. बता दें कि फैमिली कोर्ट पति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने पति होने के अधिकारों की मांग के लिए याचिका दायर किया था. वहीं, कोर्ट ने पत्नी द्वारा किए गए दहेज उत्पीड़न के मामले को रद्द कर दिया है.
फैमिली कोर्ट ने क्या कहा?
जज एनपी सिंह (Judge NP Singh) ने उक्त बातें कहते हुए महिला को उसके पति के घर (ससुराल) जाने का आदेश दिया. पति ने फैमिली कोर्ट में अपने अधिकारों की मांग की थी. इसके लिए पति ने हिंदू मैरिज एक्ट का हवाला देते हुए अपने अधिकारों की पुर्नस्थापना की मांग की.
कोर्ट ने सुनवाई के बाद पत्नी को ससुराल लौटने के आदेश दिए. साथ ही सिंदूर लगाना बंद करने पर टिप्पणी भी की.
कोर्ट ने कहा,
“पत्नी अपनी स्वेच्छा से अलग हुई है. उसने सिंदूर पहनना बंद कर दिया है.”
पत्नी ने पति के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
पति ने अपने अधिकारों की पुर्नस्थापना की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की है. साल 2017 में दंपत्ति की शादी हुई. कपल्स को एक पांच वर्षीय बेटा भी है. वहीं, पत्नी ने भी तलाक की मांग की थी.
हालांकि, पत्नी की तलाक की मांग के लिए लगाए गए आरोप में कोर्ट ने कोई मेरिट नहीं पाया और मामले को खारिज कर दिया. पत्नी ने पति पर दहेज की मांग के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ना करने का आरोप लगाया था.
कोर्ट ने कहा कि पुलिस जांच एवं साक्ष्यों के सहारे भी महिला अपने दावे को साबित करने में असफल रही. महिला द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें ससुराल जाने के आदेश भी दिए है.