नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस अब्दुल नजीर के आन्ध्रप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त करने के बाद शुरू हुई आलोचना को लेकर अब केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने बयान दिया है.
केन्द्रीय कानून मंत्री ने प्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘पूरा इकोसिस्टम एक बार फिर इस मुद्दे पर सक्रिय हो गया है’’ उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा कि उन्हें समझना चाहिए कि अब वे भारत को ‘‘व्यक्तिगत जागीर" नहीं मान सकते.
कानून मंत्री का यह बयान जस्टिस नजीर की नियुक्ति के बाद हो रही आलोचना के बाद आया है. गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने रविवार सुबह ही देश के 8 राज्यों में राज्यपाल की नियुक्ति की है. इस नियुक्ति में आन्ध्रप्रदेश राज्य के राज्यपाल के तौर पर जस्टिस एस अब्दुल नजीर को नियुक्त किया गया.
रविवार इसकी जानकारी सार्वजनिक होने के साथ ही सोशल मीडिया पर भी टिप्पणीयां होने लगी. दोपहर होते होते हुए कांग्रेस की ओर से भी बेहद तीखा बयान सामने आया. कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने तो यहां तक कहा कि जो मोदी के लिए काम करते है वे राज्यपाल बनते है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का 2012 का एक वीडियो साझा करते हुए इस फैसले पर सवाल खड़े किए. इस वीडियो में जेटली कह रहे हैं कि सेवानिवृत्ति से पहले के फैसले सेवानिवृत्ति से बाद की नौकरियों से प्रभावित होते हैं.
जयराम रमेश ने वीडियो के साथ लिखा कि यह इस बात का पर्याप्त सुबूत है कि पिछले तीन-चार वर्षों से निश्चित रूप से ऐसा हो रहा है.
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक कदम आगे बढाते हुए इस नियुक्ति का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि हम किसी व्यक्ति की बात नहीं कर रहे. व्यक्तिगत रूप से वे जस्टिस नजीर का बहुत ज्यादा सम्मान करते है. लेकिन वे इस नियुक्ति का विरोध करते है क्योकि सैद्धांतिक तौर पर वे यह मानते है कि यह एक गिरावट है.
सिंघवी ने इस नियुक्ति को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा बताया है.
जस्टिस एस अब्दूल नजीर देश की सर्वोच्च अदालत में सबसे ज्यादा मांग में रहने वाले मुस्लिम जज रहे है. सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता क्रम में तीसरे वरिष्ठ जज तक पहुंचे जस्टिस नजीर करीब 6 साल के कार्यकाल के बाद हाल ही में 4 जनवरी को सेवानिवृत हुए थे.
जस्टिस एस अब्दुल देश के सबसे ज्यादा बहुचर्चित रहे अयोध्या केस में फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच में एकमात्र मुस्लिम जज के रूप में मौजूद थे.
9 नवंबर 2019 को अयोध्या विवाद मामले में पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उन्होने अपनी राय दी थी. जस्टिस नजीर अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षों के तर्कों से सहमत नहीं थे और विवादित 2.77 एकड़ भूमि के अधिकार पर सर्वसम्मत फैसले का हिस्सा बने.
जस्टिस नजीर सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्य उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे जिसने 3जनवरी को 2023 को नोटबंदी केा लेकर फैसला सुनाया था. इस मामले में जिन 4 जजों ने नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था उसमें जस्टिस नजीर भी शामिल थे. इस पीठ की एकमात्र सदस्य जस्टिस बी वी नागरत्ना ने ही सरकार के फैसले के खिलाफ असहमति जताई थी.
देश में धार्मिक मामलो पर सुप्रीम कोर्ट के चर्चित फैसलों में उनकी मौजूदगी रही है. वो चाहे अयोध्या से जुड़ा मामला हो या फिर तीन तलाक से जुड़ा मामला.
जस्टिस नजीर ‘तीन तलाक’ मामले में फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय पीठ का भी हिस्सा थे, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 से फैसला सुनाते हुए मुस्लिमों में फौरी ‘तीन तलाक’ की 1,400 साल पुरानी प्रथा को गैरकानूनी और असंवैधानिक ठहराया था.
अयोध्या के फैसले के बाद सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए केन्द्र सरकार ने जस्टिस एस अब्दुल नजीर और उनके परिवार को जेड कैटेगरी की सुरक्षा देने का फैसला किया था.