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प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट को बरकरार रखने की मांग, याचिका लेकर कांग्रेस पहुंची SC

प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट ने दावा किया है कि यह कानून देश के सेकुलर ढांचे को बनाए रखने के लिए जरूरी है. इस एक्ट में किसी तरह का परिवर्तन देश की अखंडता और एकता को नुकसान पहुंचाएगा.

प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट, 1991 और सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : January 16, 2025 5:40 PM IST

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के समर्थन में कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. कांग्रेस ने इस मामले में उसका भी पक्ष सुने जाने की मांग की है. पार्टी ने एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है.

कांग्रेस पार्टी ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है कि इस एक्ट कोई भी बदलाव देश के सामाजिक सद्भावना और सेकुलर ढांचे के खिलाफ होगा और राष्ट्र की एकता और अंखडता को नुकसान पहुंचाएगा.

कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में कहा है,

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  • प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट संसद ने तब पास किया कि जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी. तब सदन में जनता दल के साथ बहुमत का आंकड़ा उसके पास था.
  • प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट भले ही 1991 में अस्तित्व में आया लेकिन वो पहले से कांग्रेस के घोषणापत्र का हिस्सा था.
  • प्लसेस ऑफ वर्शिप एक्ट संसद की ओर से पास कानून है. ये जनादेश को प्रदर्शित करता है.
  • देश के सेकुलर ढांचे को बनाए रखने के लिए इस क़ानून का रहना ज़रूरी है.