प्रवर्तन निदेशालय बिना एफआईआर (FIR) दर्ज किए बिना अनूचित अपराध के मामलो में संपत्ति कुर्क कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई करने की अपनी सहमति जता दी है. मद्रास हाईकोर्ट ने पहले ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा कि रेत खनन PMLA के तहत अनुसूचित अपराध नहीं है. मद्रास हाईकोर्ट ने फैसले में इस बात पर भी जोर दिया था कि ईडी अनुसूचित मामलों के अपराध से आय होने के बाद ही जांच कर सकती है
सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने तमिलनाडु रेत खनन (Tamil Nadu Sand Mining Case) से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले के तहत ईडी को जांच करने से रोका गया था. पीएमएलए अधिनियम की धारा 5 ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संपत्ति कुर्क करने की शक्ति देती है
सुप्रीम कोर्ट ने आज टिप्पणी करते हुए कहा कि पीएमएलए की धारा 5 और अन्य प्रावधानों के अंतर्गत इसे सुसंगत बनाने की जरूरत है. नियमत: कुर्की का ऐसा आदेश तब तक नहीं दिया जा सकता है, जब तक कि सीआरपीसी की धारा 173 के तहत मजिस्ट्रेट को चार्जशीट की कॉपीा नहीं सौंपी जाती है.
वहीं, ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त जनरल एस राजू ने कहा कि केन्द्रीय जांच एजेंसी विजय मदनलाल चौधरी मामले के अनुसार, संज्ञेय अपराध की जांच के लिए एफआईआर दर्ज करने या सीआरपीसी धारा 156 (3) को लागू करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएगी.
निजी ठेकेदार ईडी का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पुलिस ने इस मामले में कोई एफआईआर नहीं लिखी है, इसलिए ईडी धारा 156(3) के तहत कार्रवाई कर रहा है.
ईडी ने अवैध रेत खनन से संबंधित चार एफआईआर के आधार पर कुछ निजी ठेकेदारों के खिलाफ ईसीआईआर दर्ज की है. ठेकेदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि ईडी के पास PMLA के तहत कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने पाया कि ईडी ने बिना किसी आधार के PMLA के तहत कार्यवाही शुरू की थी. अदालत ने कहा कि जब तक अनुसूचित अपराध का मामला दर्ज नहीं होता, ईडी कार्रवाई नहीं कर सकता है. हाईकोर्ट ने ईडी के अस्थायी कुर्की आदेशों को रद्द कर दिया और कहा कि कार्रवाई अधिकार क्षेत्र के बिना थी. ईडी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट यह विचार करेगी कि क्या ईडी संपत्ति कुर्क कर सकती है, अगर