Swati Maliwal Case: आम आदमी पार्टी की नेता व राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही रोने लगी. तीस हजारी कोर्ट में केस के मुख्य आरोपी बिभव कुमार की जमानत को लेकर सुनवाई चल रही थी. बिभव कुमार की ओर से पेश हुए वकील ने पक्ष रखा. वकील ने स्पष्ट कहा कि ये मामला विचित्र है, ऐसा पहली बार हुआ है कि घटना के तीन-चार दिन बाद पुलिस ने पीड़ित की मेडिकल जांच कराने ले गई. वकील ने बहस के दौरान FIR में आईपीसी के सेक्शन 308 (गैर-इरादतन हत्या का प्रयास) लगाने के फैसले पर सवाल भी उठाया.
बता दें कि राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने सीएम हाउस पर हुई घटना को लेकर शिकायत दर्ज कराई है. घटना के मुख्य आरोपी बिभव कुमार हैं. उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है. तीस हजारी कोर्ट में बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी और बीच बहस के दौरान ही स्वाति मालीवाल रो पड़ी.
बिभव कुमार के वकील ने पूरा घटनाक्रम को अदालत के सामने रखा. वकील ने जमानत की मांग की, साथ ही शिकायतकर्ता (स्वाति मालीवाल) से कई तीखे सवाल किए. वकील ने कहा, शिकायतकर्ता जबरदस्ती सीएम आवास में घुसने का प्रयास कर रही थी, जबकि उनसे इंतजार करने को कहा गया था. क्या सांसद होने से किसी को कुछ भी करने का लाइसेंस मिल जाता है? इन्हीं दलीलों के बीच स्वाति मालीवाल रो पड़ी.
बिभव कुमार के वकील ने मुवक्किल का पक्ष रखा. वकील ने कहा कि स्वाति मालीवाल महिला आयोग की प्रमुख रह चुकीं है, उन्हें कानूनों की पूरी समझ हैं.
वहां, घटनास्थल पर कई लोग मौजूद थे. वे जानते हैं कि शिकायतकर्ता ने ही आरोपी को फोन लगाया था. उन्हें जबरदस्ती अंदर जाने से रोक रहे थे. लेकिन आरोपी (बिभव कुमार) के खिलाफ निवस्त्र करने के आरोप लगे हैं. जबकि उनका पूरा प्रयास उन्हें जबरदस्ती अंदर जाने से रोकना था.
दिल्ली पुलिस ने कहा, आप एक महिला को पीट रहे हैं और ऐसा पीटा कि उसके कपड़े के बटन खुल गए. आप एक महिला को अपमानित करने का प्रयास कर रहें हैं. यहां धारा 354 (कोई पुरूष जब महिला पर हमला करने का प्रयास करता है) भी जोड़ा जा सकता है, लेकिन नहीं जोड़ा गया है.
दिल्ली पुलिस की ओर से मौजूद वकील ने आगे कहा, आप जिस के बारे में कह रहे हैं कि आरोपी (बिभव कुमार) को बदनाम करने गई थी, वह राज्यसभा सांसद है, महिला आयोग की प्रमुख रह चुकी हैं साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने उन्हें 'लेडी सिंघम' का दर्जा दिया है.
बिभव कुमाक के वकील ने कहा, शिकायकर्ता की पूर्वनिर्धारित मंशा के साथ वहां आई थी. वे बार-बार सिक्योरिटी से बिभव कुमार के बारे में पूछ रही थी. वे बिना बुलाए सीएम आवास पर आई, तो वहां मौजूद कर्मचारी के खिलाफ ही FIR हो गई.
हालांकि, खबर लिखे जाने फैसला आ चुका है, अदालत ने बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी हैं.