दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने निचली अदालत में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले (Money Laundering Case) पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार किया है. अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि ईडी ने मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति नहीं ली है, जो कि सीआरपीसी की धारा 197(1) का उल्लंघन है. धारा 197(1) के अनुसार, किसी लोक सेवक के खिलाफ मुकदमा शुरू करने से पहले राज्य की अनुमति लेनी होती है. अदालत ने मामले की सुनवाई 20 दिसंबर तक टालते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) से केजरीवाल की याचिका पर अपना जवाब रखने को कहा है.
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस मनोज कुमार ओहरी (Justice Manoj Kumar Ohri) ने निचली अदालत द्वारा केजरीवाल के खिलाफ ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लेने के फैसले पर रोक लगाने से इंकार किया है. आज की सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अदालत को बताया गया कि उन्हें केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल चुकी है, वह इसे हलफनामा के जरिए अदालत के रिकार्ड पर रखेंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा ईडी के चार्जशीट पर संज्ञान लेना सही नहीं है क्योंकि इसमें कानूनी प्रक्रिया का उचित तौर पर पालन नहीं किया गया है. अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि जांच एजेंसी ने मेरे खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले राज्य सरकार से अनुमति नहीं ली है, जो कि सीआरपीसी की धारा 197 (1) का उल्लंघन है.
कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC)की धारा 197(1) के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों और जजों पर सार्वजनिक पद पर रहने के दौरान किए गए कथित अपराधों के लिए मुकदमा चलाने से पहले सरकार से अनुमति लेने का प्रावधान है. यह अनुमति केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रपति और राज्य स्तर पर राज्यपाल देते हैं.