नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक-विवाह से संबंधित देशभर के हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दायर सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है.
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने सभी अदालतों में पेंडिंग समलैंगिक-विवाह से जुड़ी याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर करने के आदेश दिए है. पीठ ने 13 मार्च तक सभी याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्ध करने के आदेश दिए है.
इसके साथ ही पीठ ने समलैंगिक विवाह के बिंदु पर अपना पक्ष रखने के लिए केन्द्र सरकार को भी नोटिस जारी करते हुए 15 फरवरी का समय दिया है. गौरतलब है वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर चुकी है लेकिन शादी करने की मान्यता अब तक नहीं मिली है. पुरी दुनिया में अब तक 32 देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता दी जा चुकी है.
दायर याचिकाओं में कहा गया है कि सेम सेक्स मैरिज को कानूनी दर्जा न देना उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि सेम सेक्स मैरिज को अनुमति न देना समानता के अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करना भी है.
याचिकाओं में दावा किया गया है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा न मिलने से 2018 में नवतेज सिंह जोहार वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी होता है.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर पहली जनहित याचिका सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग ने दायर की थी. इस याचिका में दोनो ने समलैगिंग विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने की मांग की.
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दूसरी याचिका दायर करने वाले पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज आनंद है. ये दोनो पिछले 17 सालों से एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में हैं और दावा करते है कि वे दो बच्चों की परवरिश एक साथ कर रहे हैं. लेकिन कानूनी रूप से मान्यता नहीं मिलने के चलते वे अपने बच्चों के साथ कानूनी संबंध नहीं रख सकते हैं.
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सर्वोच्च अदालत से लेकर देश के अलग अलग हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की जा चुकी है.
दिल्ली हाई कोर्ट और केरल हाईकोर्ट में ही 9 याचिकाएं दायर हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अब तक अलग अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को पहले ही 2 मामले में नोटिस जारी कर चुका है. इस मामले पर पिछली सुनवाई 14 दिसंबर 2022 को हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने की नई याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था.
एक और मामले में 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक और समलैंगिक जोड़े की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और 4 सप्ताह में केंद्र से जवाब मांगा था.