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यूट्यूबर सुवक्कू शंकर को SC से मिली अंतरिम जमानत, बहस के दौरान पूछा-क्या वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है?

शीर्ष अदालत ने शंकर को हिरासत में लेने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं?

मद्रास हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Updated : July 19, 2024 11:38 AM IST

Interim Bail To Suvakku Shankar : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूट्यूबर सवुक्कु शंकर को मद्रास उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला होने तक अंतरिम राहत दी.

इस बीच, अदालत ने यूट्यूबर सवुक्कु शंकर की मां द्वारा दायर स्थानांतरण याचिका को वापस ले लिया और इस बीच, उनकी हिरासत की वैधता पर फैसला करने का काम मद्रास उच्च न्यायालय पर छोड़ दिया।

शीर्ष अदालत ने शंकर को हिरासत में लेने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं?

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अदालत ने उन्हें अंतरिम राहत पर रिहा करते हुए स्पष्ट किया कि उसका अंतरिम आदेश केवल हिरासत के मामले के संबंध में है और यदि शंकर किसी अन्य मामले में जेल में हैं, तो यह आदेश उस मामले को प्रभावित नहीं करेगा.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा, "स्थानांतरण याचिका (शंकर की मां द्वारा) को वापस ले लिया गया है."

इस बीच, अदालत ने टिप्पणी की कि मद्रास उच्च न्यायालय ने उनकी हिरासत की वैधता पर अंतिम फैसला नहीं सुनाया है और इसलिए इस मुद्दे को इसके गुण-दोष के आधार पर तय करने का काम उच्च न्यायालय पर छोड़ दिया है.

दोनों पक्षों के वकीलों ने संयुक्त रूप से कहा कि वे अगले सप्ताह मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उपयुक्त पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख कर मामले में तेजी लाने का अनुरोध करेंगे.

बहस के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे और अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन याचिकाकर्ता सवुक्कु शंकर की मां ए कमला की ओर से पेश हुए. वहीं अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा तमिलनाडु राज्य की ओर से अदालत में मौजूद रहें.

24 मई, 2024 को मद्रास उच्च न्यायालय ने एक फैसला सुनाया, खंडपीठ में से से एक जज ने हिरासत को रद्द करने का एक तर्कसंगत आदेश पारित किया. दूसरी ओर, उनके साथी जस्टिस ने टिप्पणी की कि राज्य को एक काउंटर दायर करने की अनुमति दी जानी चाहिए और उसके बाद याचिका पर सुनवाई की जानी चाहिए, जैसा कि याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया.

इसके बाद, मामले को रेफरल के लिए तीसरे न्यायाधीश के पास भेज दिया गया. याचिकाकर्ता ने कहा, "दिनांक 06.06.2024 ['पहला विवादित आदेश'] के आदेश के अनुसार, तीसरे जज ने दिनांक 24.05.2024 के आदेश में प्रस्तुत पीठासीन न्यायाधीश के निष्कर्षों से असहमति जताई और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से निपटने वाली नियमित खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया." याचिकाकर्ता ने तीसरे जज के फैसले से भी आपत्ति जताई है.

याचिका में, यूट्यूबर की मां ने सत्तारूढ़ दल की अत्यंत शक्तिशाली राजनीतिक ताकतों के मद्देनजर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को मद्रास के उच्च न्यायालय से शीर्ष न्यायालय या सक्षम न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की है, जो न केवल याचिकाकर्ता के बेटे को अत्यधिक शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न कर रही हैं.

इस बीच, प्रतिवादी पक्ष के वकील ने यूट्यूबर द्वारा न्यायाधीशों के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों के माध्यम से शीर्ष न्यायालय का ध्यान खींचा.

याचिका में मद्रास उच्च न्यायालय के 6 जून और 12 जून के दो अंतरिम आदेशों को चुनौती दी गई है.

12 मई, 2024 को तमिलनाडु पुलिस ने एक हिरासत आदेश पारित किया और यूट्यूबर को तमिलनाडु अधिनियम 14, 1982 की धारा 2(एफ) के अनुसार 'गुंडा' करार दिया, इस आधार पर कि उसकी गतिविधियाँ सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए हानिकारक थीं.

20 मई, 2024 को याचिकाकर्ता की माँ ने उच्च न्यायालय का रुख किया और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की.

उच्च न्यायालय के आदेश से व्यथित होकर यूट्यूबर की माँ ने शीर्ष न्यायालय का रुख किया. सुवुक्कु शंकर की माँ ने कहा कि उनके बेटे ने तमिलनाडु सरकार में सत्तारूढ़ दल की भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

याचिका में कहा गया है कि दोनों ही आदेश पूरी तरह से अवैध हैं और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए), 21 और 22 के तहत बंदी यानी सवुक्कु शंकर के अधिकारों का उल्लंघन करते है.