House Rent Allowance: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पिता को मिले सरकारी आवास में रहनेवाले सरकारी कर्मचारी बेटा भी House Rent Allownace (HRA) का दावा नहीं कर सकता है. मामले में पिता और पुत्र दोनों ही सरकारी कर्मचारी है. दोनों साथ में रहते हैं. ऐसे में बेटे द्वारा हाउस रेंट अलाउंस के दावा करने की मांग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया है. साथ ही उसके द्वारा उठाए गए एचआरए को वापस करने का निर्देश भी दिया है. बता दें कि विभाग ने सरकारी सेवा में कार्यरत बेटे को एचआरए वसूली नोटिस जारी किया गया था जिसे उसने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने वसूली नोटिस में की गई 3,96, 814 रूपये को लौटाने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने इस मामले को सुना. कोर्ट ने पाया कि पिता और पुत्र दोनों द्वारा ही सरकारी आवास को साझा किया जा रहा है, ऐसे में हाउस रेंट वसूली के लिए किया गया दावा सही है. अपीलकर्ता को ये राशि लौटानी होगी.
बेंच ने कहा,
"अपीलकर्ता एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते, अपने पिता, एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को आवंटित किराया-मुक्त आवास साझा करते हुए एचआरए का दावा नहीं कर सकता. इस मामले में एचआरए वसूली के लिए जारी होने वाले आदेशों में कोई खामी नहीं हैं जिसके लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता हो."
बेंच ने पाया कि सेवानिवृत होने के बाद अपीलकर्ता द्वारा हाउस रेंट अलाउंस का दावा नहीं किया जा सकता है. बेंच ने वसूली नोटिस को सही ठहराते हुए पैसे लौटाने के निर्देश दिए हैं.
अपीलकर्ता जम्मू काश्मीर पुलिस में एक दूसरसंचार निरीक्षक के पद पर कार्यरत थे. साल 2014 में वे सेवानिवृत हुए. रिटायरमेंट के बाद उन्हें अपने नाम पर हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) की लौटाने को लेकर एक नोटिस प्राप्त हुआ.
अपीलकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई कि वे सरकारी आवास में रहते हुए भी हाउस रेंट अलाउंस ले रहे हैं. विभाग की तरफ से अपीलकर्ता को नोटिस आया जिसमें एचआरए के तौर पर निकाली गई 3,96,814 रूपये लौटाने के निर्देश दिए गए थे. साथ ही अपीलकर्ता यह बताने में भी विफल रहा कि आवास उनके कब्जे में नहीं था, जिस समय अंतराल को लेकर उनके खिलाफ वसूली नोटिस जारी की गई है.