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लॉरेंस के पार्थिव शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंपने का फैसला SC ने बरकरार रखा, बेटियों की मांग खारिज

सुप्रीम कोर्ट से पहले, केरल हाईकोर्ट ने दिवंगत नेता की बेटियों की मांग को खारिज करते हुए कहा कि उसके पिता ने कभी भी ईसाई धार्मिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं के अनुसार अपने शव का अंतिम संस्कार करने की इच्छा व्यक्त की थी.

Written by My Lord Team |Published : January 16, 2025 9:55 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को वरिष्ठ वाम नेता एम एम लॉरेंस की बेटियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने पिता के पार्थिव शरीर को सरकारी अस्पताल के बजाय उन्हें सौंपे जाने का अनुरोध किया था. वाम नेता लॉरेंस के बेटे सजीवन ने कहा था कि उनके पिता चाहते थे कि उनका शरीर वैज्ञानिक अध्ययन के लिए दान कर दिया जाए, वहीं बेटियों ने इसका विरोध किया. नेता के पार्थिव शरीर की मांग को लेकर बेटियों ने केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी, अदालत से राहत नहीं पाने के बाद इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. आइये जानते हैं कि नेता एम एम लॉरेंस के पार्थिव शरीर की मांग को लेकर अदालत में क्या हुआ...

वाम नेता की बेटियों को नहीं मिल पाएगा पार्थिव शरीर

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने केरल हाईकोर्ट के 18 दिसंबर, 2024 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. केरल हाईकोर्ट ने दिवंगत नेता की बेटियों आशा लॉरेंस और सुजाता बोबन की उस अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने पिता के पार्थिव शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंपने के एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी थी.

उच्च न्यायालय ने कहा था कि आशा ने यह दावा नहीं किया था कि उसके पिता ने कभी भी ईसाई धार्मिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं के अनुसार अपने शव का अंतिम संस्कार करने की इच्छा व्यक्त की थी.

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क्या है मामला?

लॉरेंस का 21 सितंबर, 2024 को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. उनके पार्थिव शरीर को एर्नाकुलम टाउन हॉल में श्रद्धांजलि के लिए रखा गया था लेकिन 23 सितंबर को उस वक्त नाटकीय दृश्य देखने को मिला था जब दिवंगत नेता की बेटी आशा लॉरेंस ने उनके पार्थिव शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंपने के फैसले का विरोध किया.

इसके बाद उन्होंने अपने पिता के पार्थिव शरीर को शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए मेडिकल कॉलेज को दान करने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनकी बहन सुजाता भी उनके साथ शामिल हो गईं और उन्होंने भी यही राहत मांगी. उच्च न्यायालय ने 23 अक्टूबर को उनकी याचिकाएं खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने इसके खिलाफ अपील दायर की.

मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने कहा था कि लॉरेंस के बेटे सजीवन द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, कम्युनिस्ट नेता ने मार्च 2024 में दो गवाहों के सामने अपने पार्थिव शरीर को शैक्षणिक उद्देश्यों के वास्ते कॉलेज को सौंपने के लिए अपनी सहमति दी थी.