हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की कार्यशैली से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सत्ता आनंद लेने व शक्तियों के प्रयोग में संवेदनशील होने की जरूरत हैं. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी तब आई, जब राज्य के अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी बार-बार अदालत से समन भेजने के बाद भी पुलिस के पास हाजिर नहीं हो रहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह, व्यक्ति इसलिए हाजिर नहीं हो रहा है, क्योंकि उसको डर होगा कि कहीं पुलिस गिरफ्तार करने के लिए उस पर एक और झूठा केस ना लगा दें. इस दौरान अदालत ने राज्य के अधिवक्ता को कहा कि आप वर्षों से इस अदालत के ऑफिसर हैं, आप समझ रहे होंगे कि ये विषय यूपी पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत हैं. आइये जानते हैं पूरा मामला...
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने अपने खिलाफ यूपी पुलिस द्वारा कई मुकदमे दर्ज करने का दावा किया है. याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसे डर है कि अगर वह पुलिस के समक्ष गया तो पुलिस उसके खिलाफ एक और दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लेगी. व्यक्ति ने अपने खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे और पुलिस के सामने हाजिर होने को लेकर जारी नोटिस को रद्द करने की मांग की थी.
शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता के खिलाफ लगे आरोपों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हए FIR को रद्द करने से इंकार कर दिया. साथ ही पुलिस को मामले में नया मुकदमा दर्ज करने से व आरोपी-याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने पर रोक लगा दी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति को जारी नोटिस का पालन करने को कहा है.
इस बहस के दौरान राज्य के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया, जिस पर जिससे सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि
"याचिकाकर्ता-आरोपी के पेश नहीं होने का कारण यह हो सकता है कि उन्हें पता है कि उनके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज किया जाएगा. आप हर बार एक नया मुकदमा लेकर चले जाते हो. भूमि हड़पने का आरोप लगाना बेहद आसान है, जिसने सेल डीड के आधार पर जमीन खरीदा है, उस पर जमीन हड़पने का आरोप लगा रहे हैं. साथ ही भूमि हड़पने के आरोपों को लेकर कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं है, यह नागरिक या आपराधिक विवाद है."
अदालत ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि दुबे को गिरफ्तार किया गया, तो कठोर आदेश जारी करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा,
"पुलिस के रूप में आप सिविल कोर्ट की शक्तियों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे संभलने की जरूरत हैं, सुप्रीम कोर्ट ने इस स्थिति को पुलिस की गतिविधियों को शक्तियों के खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश करने के रूप में वर्णित किया गया है. साथ ही शक्तियों के प्रयोग में संवेदनशील होने के निर्देश दिए हैं."
सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कहा कि शक्ति का यह आनंद खतरनाक स्थितियों को जन्म दे सकता है.