आज सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा ट्रेन हादसे से जुड़ी अपीलों पर 6 और 7 मई को अंतिम सुनवाई शुरू करने का फैसला किया है. इस दौरान शीर्ष अदालत गुजरात सरकार और कई दोषियों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वे इस दिन किसी अन्य मामले की सुनवाई नहीं करेगी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के वकीलों को 3 मई तक अपने तर्कों को, अगर वे दोबारा से रखना चाहे, संशोधित कर रिकॉर्ड में दाखिल करने को कहा है. बता दें कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में आग लगने से 59 लोगों की मौत हुई थी और इस घटना के बाद राज्य में दंगे भड़क उठे थे.
जस्टिस जेके महेश्वरी और राजेश बिंदल की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से कहा कि वे 3 मई तक अपने प्रस्तुतियों का एक संशोधित संकलन पेश करें, जिसमें दोषी के खिलाफ आरोप, निचली अदालतों के फैसले और उनके तर्क शामिल हों. गुजरात सरकार ने फरवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह उन 11 दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग करेगी, जिनकी सजा को हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था. इस प्रकार, सरकार की स्थिति यह है कि न्याय का सही कार्यान्वयन होना चाहिए और दोषियों को उनके अपराधों के लिए उचित दंड मिलना चाहिए.
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोग मारे गए थे, जिसने गुजरात में दंगों को जन्म दिया. यह घटना न केवल एक भयावह त्रासदी थी, बल्कि इसने पूरे राज्य में हिंसा और अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न की. सुप्रीम कोर्ट में कई अपीलें दायर की गई हैं, जो अक्टूबर 2017 में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देती हैं. हाई कोर्ट ने कई दोषियों की सजा को बरकरार रखा और 11 दोषियों की फांसी की सजा को जीवन कारावास में बदल दिया. गुजरात हाई कोर्ट ने 31 दोषियों की सजा को बरकरार रखा और कहा कि निचली अदालत ने उचित निर्णय लिया था. दोषियों ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है, यह दावा करते हुए कि उन्हें न्याय नहीं मिला. अब सुप्रीम कोर्ट गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देनेवाली गुजरात सरकार की याचिका और दोषियों की इस फैसले के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई करेगी.
(खबर पीटीआई इनपुट पर है)