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किस आयु तक लड़के Child Marriage रद्द करने की मांग कर सकते हैं? SC करेगा विचार

बाल विवाह निषेध अधनियम (PCM Act) के तहत, पति-पत्नी में से कोई भी बालिग होने के दो साल के भीतर विवाह को रद्द करने की मांग कर सकता है. लेकिन लड़कों के लिए यह दो साल किस उम्र से जोड़ा जाए, जब बालिग होने की उम्र 18 वर्ष हैं और शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है.

बाल विवाह रद्द करने की आयु

Written by Satyam Kumar |Published : January 19, 2025 2:03 PM IST

कोई भी लड़का बाल विवाद रद्द करने की मांग किस आयु सीमा तक कर सकता है, अठारह या इक्कीस. बाल विवाह निषेध अधनियम के तहत, पति-पत्नी में से कोई भी बालिग होने के दो साल के भीतर विवाह को रद्द करने की मांग कर सकता है. लेकिन लड़कों के लिए यह दो साल किस उम्र से जोड़ा जाए, जब बालिग होने की उम्र 18 वर्ष हैं और शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है. वहीं, लड़की के लिए शादी की उम्र और बालिग होने की उम्र, दोनों ही 18 वर्ष है. अब सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि  तो लड़का किस उम्र के आधार पर बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत विवाह को समाप्त करने की मांग कर सकता है. आइये जानते हैं कि मामले में अब तक क्या -कुछ हुआ है...

बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA) की धारा 3(3) के तहत, कोई भी व्यक्ति जिसका विवाह बचपन में ही तय कर दिया गया है, वह बालिग होने पर विवाह को रद्द करने के लिए याचिका दायर कर सकता है. हालांकि, यह याचिका उस व्यक्ति की बालिग होने के 2 वर्ष के भीतर दायर की जानी चाहिए.

बाल विवाह से जुड़े मामले में 2004 में हुए इस शादी के समय पति की आयु 12 वर्ष और पत्नी की आयु 9 वर्ष थी. उम्र के लिहाज से पति 2010 में बालिग हुआ और पत्नी 2013 में,

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2013 में, पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 12(2) के तहत विवाह रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसे अदालत ने अनुचित पाते हुए खारिज कर दिया. बाद में, PCMA की धारा 3 का हवाला देते हुए पति ने 2013 में विवाह रद्द करने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पति के पक्ष में निर्णय देते हुए विवाह को रद्द करने का फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने पति की 23 वर्ष की उम्र सीमा को सही ठहराते हुए कहा कि उसने याचिका को समय सीमा के भीतर दायर किया है. अदालत ने पति से पत्नी को 25 लाख रुपये का एकमुश्त गुजारा भत्ता देने को कहा, लेकिन पत्नी के आवासीय सुविधा का अनुरोध अस्वीकार कर दिया.

पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करते हुए दावा किया कि पति ने बालिग होने के तीन साल बाद शादी समाप्त करने की मांग की है, जबकि बाल विवाह अधिनियम के अनुसार यह उम्र दो साल ही है. पति ने याचिका में बताया कि वह पांचवी तक ही पढ़ी लिखी है, जबकि उसका पति डेंटल सर्जन है. पत्नी ने उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देते हुए कहा कि यह निर्णय बाल विवाह निषेध अधिनियम के उद्देश्य और संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है. उनका तर्क है कि उच्च न्यायालय ने पुरुषों के लिए विवाह रद्द करने की समय सीमा 23 वर्ष तक बढ़ा दी, जबकि महिलाओं के लिए यह 20 वर्ष तक सीमित है. पत्नी ने दावा किया कि पुरुषों और महिलाओं के लिए कानूनी कार्रवाई की समय सीमा में भेदभाव, समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है.

सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पति को नोटिस जारी किया है. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पंकज मितल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ विचार करेगी कि 18 या 21, बाल विवाह रद्द करने की मांग के लिए लड़को की आयु सीमा क्या होनी चाहिए.

केस टाइटल: गुड्डन उर्फ उषा बनाम संजय चौधरी (GUDDAN @USHA Versus SANJAY CHUDHARY)