सुप्रीम कोर्ट में एक शख्श ने अजीबोगरीब याचिका दायर कर मांग की कि देश भर में सभी महिलाओं के लिए करवाचौथ का व्रत अनिवार्य कर दिया जाए. याचिकाकर्ता की मांग थी कि भले ही महिला विधवा, तलाकशुदा या आपसी सहमति से पुरूष के साथ सम्बंध में हो, उसके लिए करवाचौथ का व्रत अनिवार्य होना चाहिए. सरकार इस व्रत का सख्ती पालन कराने के लिए नियम बनाए और जो इस व्रत का पालन न करें उनके लिए दंड का प्रावधान हो. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को बेतुका करार देते हुए खारिज कर दिया.
पंचकूला निवासी नरेंद्र कुमार मल्होत्रा ने दरअसल पहले इसी मांग के साथ पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया था. हाईकोर्ट ने जनवरी में इस याचिका को खारिज कर दिया था. यही नहीं, हाई कोर्ट ने अदालत का क़ीमती वक़्त बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ता पर एक हज़ार का जुर्माना भी लगाया था. इसी आदेश को नरेंद्र कुमार मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
आज यह मामला जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा. याचिकाकर्ता कीओर से पेश वकील ने दलील दी कि सरकार कुछ नहीं कर रही है. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए इसे बेतुका करार दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिका दाखिल करने के पीछे मकसद दूसरे लोगों का है, जो सामने नहीं आना चाहते. याचिकाकर्ता का तर्क है कि कई महिलाओं को करवा चौथ मानने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है लेकिन उसने कहीं भी इसको स्पष्ट नहीं किया कि क़ानून में ऐसे प्रतिबंध कहां लगाए गए है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट भी इस याचिका को निर्रथक बताते हुए खारिज कर चुका है. हमे इस आदेश में दखल देने का कोई औचित्य समझ नहीं आता. अगर याचिकाकर्ता फिर से इस तरह की याचिका दाखिल करता है तो हाई कोर्ट सबक सिखाने के लिए उसके खिलाफ उचित कार्रवाई कर सकता है.
(खबर एजेंसी इनपुट से है)