सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के आरे कॉलोनी में वृक्षों की कटाई पर रोक लगाते हुए कहा कि बिना उसकी अनुमति के कोई भी वृक्ष कटाई नहीं की जाएगी. यह आदेश उस समय आया जब मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) ने अदालत को सूचित किया कि क्षेत्र में और वृक्षों की कटाई की जरूरत नहीं है. बता दें कि 29 नवंबर, 2022 को, सर्वोच्च न्यायालय ने एमएमआरसीएल को मुंबई मेट्रो के लिए आरे कॉलोनी में 84 पेड़ों की कटाई अनुमति देते हुए कहा था कि वह पेड़ों की कटाई के संबंध में अपने वादे का पालन करें.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि वृक्ष प्राधिकरण आवेदन प्रक्रिया कर सकता है और फिर अदालत से आदेश मांग सकता है. अदालत का फैसला तब आया, जब मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) ने अदालत को बताया कि क्षेत्र में अधिक पेड़ काटने का कोई लंबित प्रस्ताव नहीं है. इसके बाद अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह बताए कि क्या आरे वन में और वृक्षों की कटाई की कोई जरूरत है.
अब मामले की सुनवाई 5 अप्रैल के दिन करेगी.
2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक पत्र याचिका पर संज्ञान लिया था, जिसमें वृक्षों की कटाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी. इस समय आरे कॉलोनी में वृक्षों की कटाई का विरोध कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों द्वारा किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि वे किसी भी प्रकार की वृक्ष कटाई से बचें. वहीं,साल 2023 में आरे पेड़ो की कटाई से वनवासियों को हुई क्षति के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राहत पाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट जाने का भी निर्देश दिया था.
17 अप्रैल 2023 को, सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई मेट्रो पर कड़ी टिप्पणी की. न्यायालय ने कहा कि मेट्रो ने केवल 84 पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के अपने आदेश का उल्लंघन करने की कोशिश की है. इसके लिए मेट्रो को 10 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एमएमआरसीएल के लिए यह अनुचित था कि वह हमारे यहां नहीं आकर, 84 से अधिक पेड़ों की कटाई के लिए वृक्ष प्राधिकरण से के पास गए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को आरे वन से 177 पेड़ों को हटाने की अनुमति देते हुए कहा कि वृक्षों की कटाई पर रोक लगाना सार्वजनिक परियोजना को ठप कर देगा.