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फैक्ट-चेक यूनिट को लेकर अधर में फंसा केन्द्र, अब सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जानें अब क्या हुआ?

गुरूवार (20 मार्च 2024) के दिन सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र द्वारा जारी फैक्ट-चेक यूनिट नोटिफिकेशन पर रोक लगाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट को इसी मामले में अंतिम फैसला देने से पहले मौलिक अधिकार के नजरिए से इस विषय को देखने को निर्देश दिए हैं. बता दें कि 15 अप्रैल को बॉम्बे हाईकोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.

Written by My Lord Team |Published : March 21, 2024 5:52 PM IST

Fact Check Units: गुरूवार (21 मार्च, 2024) के दिन सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट-चेक यूनिट पर रोक लगा दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद केन्द्र ने फैक्ट-चेक नियमों को जारी किया था जिसमें फैक्ट-चेक करने के लिए टीम के गठन की बात कहीं गई थी. इस इकाई को आईटी रूल्स, 2023 के तहत लाया जाना है. 

सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई थी, सुनवाई हुई, जिसमें बुधवार के दिन केन्द्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की गई है. इसमें से एक याचिका कॉमेडियन कुणाल कामरा ने भी दायर किया है, उसके बाद एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया एवं एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने दायर किया है. 

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने फैक्ट-चेक यूनिट (एफसीयू) से जुड़ी अधिसूचना जारी किया था. अब इस नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की गई है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की. बेंच में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं. बेंच ने कहा. आईटी रूल्स के इन नियमों में संवैधानिक रूप से गंभीर सवाल जुड़े हैं. मौलिक अधिकार 19(1) के तहत दिए गए बोलने और व्यक्त करने के मामले से जुड़ा है. 

बेंच ने कहा. बॉम्बे हाईकोर्ट में मामला अभी लंबित है. अंतिम फैसला आना बाकी है. केन्द्र द्वारा जारी 20 मार्च 2024 की अधिसूचना पर रोक लगाने की जरूरत है. 3(1)(बी)(5) की वैधता को चुनौती में गंभीर संवैधानिक प्रश्न शामिल है और मुक्त भाषण और अभिव्यक्ति पर नियम के प्रभाव का उच्च न्यायालय द्वारा विश्लेषण करने की आवश्यकता होगी. 

कुणाल कामरा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा पेश हुए. आईटी रूल्स की धारा 79 के अनुसार किसी भी कंटेट को रिपोर्ट करने पर इंटरमीडियरी उसे अपने प्लेटफार्म से हटाने को बाधित होगी. कंटेंट को लेकर सीनियर एडवोकेट ने चिंता जाहिर की. 

सीनियर एडवोकेट ने कहा, 

"चुनाव सिर पर हैं, जनता को सरकार के बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए, ना कि केंद्र द्वारा फिल्टर की गई जानकारी."

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी दी दलींले

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से एडवोकेट शादान फरासात ने पक्ष रखा. वकील ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि न्यायाधीश इस धारणा पर आगे बढ़े हैं कि सरकार एक गुड ब्यॉय है. 

वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट 15 अप्रैल, 2024 को इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी.  सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के आने तक इंतजार करने की बात कहीं हैं. साथ मौलिक अधिकार से जुड़े गंभीर विषयों को ध्यान मे रखने के निर्देश दिए हैं. 

बॉम्बे हाईकोर्ट में अब तक! 

पहले दो जजों, जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिलस नीला गोखले की डिवीजन बेंच ने मामले को सुना. डिवीजन बेंच किसी एक फैसले पर नहीं पहुंच पाई, जिसके बाद मामले को सिंगल-जज जस्टिस चंदूरकर के पास भेजा. मामले में शामिल हुए तीसरे जज ने अपना फैसला सुनाया है. फैसले में 2 जजों ने फैक्ट-चेक यूनिट जारी करने की बात कहीं है, वहीं एक जज इस पर रोक लगाने की बात कहीं है. 

FCU को लेकर केन्द्र ने क्या कहा? 

6 अप्रैल, 2023 के दिन भारत सरकार ने आईटी रूल्स में संशोधन किया. सोशल मीडिया इंटरमेडियरी को निर्देश दिए थे कि वे सरकार के जुड़े काम के संबंध में फर्जी, झूठी और भ्रामक जानकारी को शेयर करने पर रोक लगाए.

क्या है मामला?

नए आईटी रूल्स में झूठी, भ्रामक खबरों पर रोक लगाने फैक्ट चेक यूनिट बनाने की बात है. इस यूनिट के बनने से मीडिया सेंसरशिप की आशंकाएं पुन: जीवित हो गई है. इसे ही कुणाल कामरा ने चुनौती दिया है. कॉमेडियन कुणाल कामरा ने कहा है कि व्यंंग्य का फैक्ट चेक नहीं किया जा सकता है. अगर केंद्र सरकार व्यंग्य की जांच करें, तो उसे भ्रामक बता कर सेंसर कर सकती है, जिससे राजनीतिक व्यंग्य का उद्देश्य पूरी तरह से असफल रहेगी.