Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और उत्तराखंड सरकार से एक लड़की की याचिका पर जवाब मांगा, जिसकी मां के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. लड़की ने देशभर में अस्पताल कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ लड़की की याचिका पर सुनवाई की. लड़की ने अपने नाना के माध्यम से अदालत का रुख किया है. उसने आरोप लगाया है कि उत्तराखंड पुलिस ने राज्य के एक अस्पताल में कार्यरत अपनी मां के कथित बलात्कार और हत्या के संबंध में एफआईआर दर्ज करने में देरी की हैं. अस्पताल के कर्मचारियों की चिकित्सा योग्यता की परवाह किए बिना उनकी सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए केंद्र को निर्देश देने के अलावा, याचिका में किसी महिला के लापता होने और उचित समय-सीमा के भीतर उसका पता न लगा पाने की स्थिति में केंद्रीकृत अलर्ट अनिवार्य करने का आदेश भी मांगा गया है.
लड़की ने अपनी मां की मौत और कथित यौन उत्पीड़न की स्वतंत्र जांच की मांग की है, जो अस्पताल में ओपीडी सहायक के रूप में काम करती थी. याचिका के अनुसार, पीड़िता 30 जुलाई की शाम को लापता हो गई थी और उसका आंशिक रूप से सड़ा हुआ शव 8 अगस्त को उधम सिंह नगर के रुद्रपुर में उसके अपार्टमेंट के पास मिला था. याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने मीडिया में हंगामा और आंदोलन के बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट और यहां तक कि एफआईआर भी देरी से दर्ज की. एफआईआर 14 अगस्त को दर्ज की गई थी. इसमें कहा गया है यहां यह उल्लेख करना उचित है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मृतक की मौत के किसी विशेष कारण को साबित करने में विफल रही और इस आधार पर सभी बातों को कवर किया कि सड़न के उन्नत चरण के कारण, किसी भी त्वचा या आंतरिक चोट की उपस्थिति या अनुपस्थिति के बारे में कोई निश्चित टिप्पणी करना संभव नहीं है, जो व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से मौत का कारण हो सकता है या मौत के कारण हो सकता है. याचिका में कहा गया है कि नाबालिग उत्तराखंड महिला पीड़ितों/यौन उत्पीड़न अन्य अपराधों से बचे लोगों के लिए मुआवजा योजना, 2022 के तहत मुआवजे की हकदार है और फिर भी उसे या उसके दादा को कोई सहायता प्रदान नहीं की गई है. याचिका में कहा गया है कि यह स्पष्ट है कि स्थानीय पुलिस द्वारा की गई जांच विश्वसनीय नहीं है और स्वतंत्र जांच की जरूरत है.