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आसाराम की सजा पर रोक लगाने से SC ने किया इंकार, स्वास्थ्य आधार पर राहत देने को लेकर गुजरात सरकार से मांगा जबाव

सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम से कहा कि वह इस याचिका पर तभी विचार करेगी जब इसके पीछे कोई चिकित्सीय आधार होगा. बता दें कि आसाराम ने गुजरात हाईकोर्ट के जमानत नहीं देने व सजा पर रोक लगाने से इंकार के फैसले को चुनौती दी है.

आसाराम बापू

Written by Satyam Kumar |Published : November 22, 2024 6:58 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जेल में बंद स्वयंभू संत आसाराम की उस याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने 2013 के बलात्कार मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें दी गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया है.

न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने आसाराम की ओर से पेश वकील से कहा कि वह इस मुद्दे पर तभी विचार करेगी जब इसके पीछे कोई चिकित्सीय आधार होगा. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर के लिए तय करते हुए कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करेंगे, लेकिन हम केवल चिकित्सा स्थितियों पर ही विचार करेंगे.’’

गुजरात उच्च न्यायालय ने 29 अगस्त को आसाराम की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने 2023 में गांधीनगर की एक अदालत द्वारा मामले में आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया था. सजा को निलंबित करने और उसे जमानत देने से इनकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि राहत का कोई मामला नहीं बनता. जनवरी 2023 में सत्र अदालत ने आसाराम को 2013 के बलात्कार मामले में दोषी ठहराया है.

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यह मामला एक महिला ने दर्ज कराया था जो अपराध के समय गांधीनगर के पास उनके आश्रम में रह रही थी. आसाराम फिलहाल बलात्कार के एक अन्य मामले में राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद है. उच्च न्यायालय ने कहा था कि उसकी अपील के निपटारे में संभावित देरी, उसकी उम्र और चिकित्सा स्थिति के बारे में उसकी दलीलें राहत प्रदान करने के लिए प्रासंगिक नहीं थीं. अदालत ने पूर्व के मामलों पर भी विचार किया जिसमें साबरमती आश्रम में दो लड़कों की कथित हत्या और गवाहों तथा पीड़ितों के रिश्तेदारों पर हमले शामिल थे. आसाराम की याचिका में कहा गया है कि वह साजिश का शिकार हुआ है और बलात्कार के आरोप झूठे हैं.