सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मुंबई और नवी मुंबई जैसे शहरों में बचे हुए कुछ हरित क्षेत्रों को संरक्षित करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी बम्बई हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शहर और औद्योगिक विकास निगम (CIDCO) की अपील पर आई.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सिडको की अपील को सुना. पीठ प्रथम दृष्टया यह जानकर आश्चर्यचकित रह गई कि राज्य स्तरीय खेल परिसर के लिए दी गई भूमि कुछ विकास कार्य के लिए दी जा रही है और प्रस्तावित खेल कॉम्पलैक्स को को रायगढ़ जिले में स्थानांतरित किया जाना है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
‘‘यह एक बहुचर्चित प्रथा है. सरकार, जो भी हरित क्षेत्र बचे है, उसे बिल्डरों को दे देती है.’’
सीजेआई ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि मुंबई और नवी मुंबई जैसे शहरों में बहुत कम हरित क्षेत्र बचे हैं. आपको इन्हें संरक्षित करना होगा और बिल्डरों को नहीं देना होगा. सीजेआई ने हल्के-फुल्के अंदाज में पूछा कि ऐसे में स्वर्ण पदक विजेता कैसे निकलेंगे.
सिडको की ओर से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि खेल परिसर के निर्माण के लिए बीस एकड़ जमीन पर्याप्त नहीं है और इसके अलावा, राज्य ने वैकल्पिक स्थल पर जमीन चिह्नित की है. उन्होंने कहा कि यह मामला शहरों के हरित क्षेत्रों से संबंधित नहीं है बल्कि यह नगर-नियोजन गतिविधियों से संबंधित है जिस पर उच्च न्यायालय ने फैसला किया है.
उच्च न्यायालय ने सरकारी खेल परिसर के लिए नवी मुंबई में 20 एकड़ जमीन छोड़ने और इसे मौजूदा स्थल से 115 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले के माणगांव में एक दूरस्थ स्थान पर स्थानांतरित करने के महाराष्ट्र सरकार के 2021 के फैसले को रद्द कर दिया था. भूमि 2003 में खेल परिसर के लिए निर्धारित की गई थी और 2016 में, योजना प्राधिकरण ने इसका एक हिस्सा आवासीय और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए एक निजी डेवलपर को आवंटित किया था.
अब सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर अगली सुनवाई की तिथि 30 सितंबर को करेगी.