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श्रीशैलम मंदिर के अलग-बगल गैर-हिंदूओं के दुकान लगाने पर आंध्र सरकार ने रोक लगाई, मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा तो ये हुआ

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैर-हिंदू विक्रेताओं को मंदिर की दुकानों की लीज नीलामी से रोकने वाले आंध्र प्रदेश सरकार के 9 नवंबर, 2015 के आदेश को लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है.

Written by Satyam Kumar |Published : February 20, 2025 12:03 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सभी धर्मों के लोगों को मंदिर की दुकानों के पट्टे की नीलामी में भाग लेने की अनुमति दी है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 9 नवंबर 2015 का आंध्र प्रदेश सरकार का आदेश, जो गैर-हिंदू विक्रेताओं को मंदिर की दुकान के पट्टे की नीलामी में भाग लेने से रोकता है, को लागू नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के सितंबर 2019 के निर्णय पर रोक लगा दिया है, जिसने 2015 के जीओ को सही करार दिया था.

गैर-हिंदू भी पट्टे की निलामी में होंगे शामिल

जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने अदालत के फैसले को नहीं मानने को लेकर की गई अवमानना याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने अवमानना याचिका का निपटारा करते हुए सरकार के गैर-हिंदूओं के मंदिर ना देने के फैसले पर रोक लगा दी है.

अदालत ने कहा,

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"इस अदालत ने 27 जनवरी 2020 को अंतरिम आदेश द्वारा विवादित निर्णय को स्थगित कर दिया है. विवादित निर्णय जीओ.एम.एस. संख्या 426, राजस्व संपत्तियों के अंतर्गत 9 नवंबर 2015 के आदेश की पुष्टि करता है. स्थगन के दृष्टिगत हम स्पष्ट करते हैं कि 9 नवंबर 2015 का जीओ लागू नहीं होगा,"

सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के सितंबर 2019 के निर्णय को स्थगित कर दिया था, जिसने 2015 के जीओ को बरकरार रखा था. याचिकाकर्ताओं ने तर्क किया था कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है. सुनवाई के दौरान, राज्य के वकील ने अदालत को बताया कि टेंडर गलत तरीके से जारी किए गए थे और उन्हें वापस ले लिया गया है. राज्य के वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि स्थानीय मंदिर प्रशासन को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

आवेदक के वकील ने तर्क किया कि स्थगन के बावजूद, अधिकारियों ने भविष्य के टेंडरों में ऐसे प्रावधान शामिल किए हैं. जस्टिस ओका ने राज्य से सुनिश्चित करने को कहा कि वे 9 नवंबर 2015 के जीओ पर कार्रवाई नहीं करेंगे. राज्य के वकील ने उत्तर दिया कि अदालत के स्थगन आदेश का उल्लंघन करने का "कोई सवाल" नहीं है और उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश भेजने की बात कही ताकि किसी भी भ्रम से बचा जा सके. पीठ ने फिर आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि 9 नवंबर 2015 का जीओ सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन के कारण लागू नहीं होगा. विवादित जीओ ने आंध्र प्रदेश धर्मार्थ और हिंदू धार्मिक संस्थानों और संपत्तियों के पट्टों और लाइसेंस नियम, 2003 के नियम 4(2)(k) और नियम 18 को शामिल किया, जो गैर-हिंदुओं को मंदिर की संपत्तियों की नीलामी में भाग लेने से रोकता है.

क्या है मामला?

17 दिसंबर 2021 को, सुप्रीम कोर्ट ने सभी धर्मों के लोगों को कर्नूल के श्री ब्रह्मरंभा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर और उसके शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में दुकानों के पट्टों की नीलामी में भाग लेने की अनुमति दी. अदालत ने निर्देश दिया कि किरायेदारों या दुकान धारकों को केवल उनके धर्म के आधार पर नीलामी में भाग लेने से बाहर नहीं किया जाना चाहिए. अदालत अवमानना याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य अधिकारियों पर उनके स्थगन आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था.

अब सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (SLP) की सुनवाई 4 मार्च 2025 को करेगा.