नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के बहनोई Mainak Mehta को हांगकांग जाने की अनुमति दिए जाने के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर याचिका को सुनवाई के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट को वापस भेज दी है. सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य पीठ ने गुरुवार को सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिया है.
पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट को याचिका वापस लौटाते हुए आदेश दिया है कि वह चार सप्ताह में इस याचिका पर नए सिरे से फैसला करें. वही सीबीआई को भी अगले दो सप्ताह में अनुमति के खिलाफ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के निर्देश दिए है.
सीजेआई की पीठ ने कहा सीबीआई और मेहता दो सप्ताह की अवधि के भीतर हाईकोर्ट में अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल कर सकते हैं और उसके बाद दो सप्ताह के भीतर याचिका पर फैसला किया जाएगा.
गौरतलब है कि नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में आरोपी है. इस मामले में मैनक मेहता के खिलाफ सीबीआई का आरोप है कि मेहता ने भी पीएनबी धोखाधड़ी मामले में बड़ी मात्रा में हेराफेरी की राशि को अपने व अपनी पत्नी के बैंक खाते में भेज दिया था.
अपने परिवार के साथ हांगकांग में रहने वाले ब्रिटिश नागरिक मेहता इस मामले में की जांच के लिए मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत के आदेश पर 8 सितंबर, 2021 को भारत आया था. विशेष अदालत के समक्ष पेश होने के बाद वापस हांगकांग जाने की तैयार की थी.
अदालत ने मेहता को भारत आने के साथ ही मेहता को हांगकांग की यात्रा करने और वहां तीन महीने रहने की अनुमति दी थी. इस आदेश के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए आदेश को चुनौती दी.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कहा गया कि मामले की जांच के लिए बैंक खाता तक सीधी पहुंच के लिए मेहता द्वारा letter of authority नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते आगे की जांच नहीं हो पा रही है.
वही मेहता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट अमित देसाई ने कहा उनके मुवक्किल इस मामले में शुरुआत से ही एजेंसी का सहयोग कर रहे है. और बैंक तक एजेंसी की सीधी पहुंच बनाने के लिए letter of authority भी देने को तैयार हैै.
देसाई ने कहा कि इस मामले की वजह से देश की एजेंसियों की साख खराब हो रही है, देसाई ने कहा कि मेहता सहयोग के लिए भारत आया था लेकिन लंबे समय बाद उसे वापस अपने परिवार के पास जाने से रोका जा रहा है. जिससे भविष्य में लोग इस केस का उदाहरण देंगे कि सहयोग करने के बाद भी ऐसा व्यवहार किया जायेगा.
बहस सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट का आदेश अलग परिस्थितियों में दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्रतिवादी सीबीआई को letter of authority देने को तैयार है ऐसे में मामले को फिर से सुने जाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट को भेजा जाना उचित होगा.
पीठ ने मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट को वापस भेजते हुए सीबीआई और मेहता को दो सप्ताह में हाईकोर्ट के समक्ष अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के निर्देश दिए है, जिसके बाद हाईकोर्ट याचिका पर फैसला करेगा.