सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस एक्ट मामले में एक टैक्सी ड्राइवर को राहत देते हुए कहा कि सामान्यत: कोई भी टैक्सी ड्राइवर यात्रियों को टैक्सी में चढ़ाने से पहले उनकी जानकारी नहीं मांगता है. सुप्रीम कोर्ट ने ड्राइवर को बरी करते हुए कहा कि इसे केवल इस कारण से आरोपी बनाया गया कि वह यात्रियों की पहचान का खुलासा करने में असफल रहा है. हालांकि, पुलिस ने घटनास्थल से भागे यात्रियों को ढूंढ़ने का भी कोई प्रयास नहीं किया. एनडीपीएस एक्ट से जुड़े इस मामले में टैक्सी ड्राइवर के खिलाफ मुकदमा उसकी गाड़ी में प्रतिबंधित समान मिलने के लिए किया गया.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पंकज जे मिथल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने टैक्सीड्राइवर के खिलाफ मुकदमे को रद्द करते हुए बरी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉर्ड पर रखे तथ्यों पर गौर करते हुए कहा कि यह विवादित नहीं है कि अपीलकर्ता एक टैक्सी चालक था और उसके टैक्सी से जब्त की गई सामग्री थी, जिसका आरोप दो यात्रियों के घटना स्थल से भागने के बाद अपीलकर्ता (ड्राइवर) पर आरोप लगाया गया. यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि अपीलकर्ता ने स्वयं सामग्री का ले जा रहा था. अपीलकर्ता-चालक ने यह दावा किया कि उसे अपने वाहन में ले जाई जा रही मादक पदार्थ के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. चालक ने यह भी दावा किया है कि मादक पदार्थ संभवतः उन यात्रियों का है जो घटना स्थल से भाग गए. चालक ने दावा किया कि मादक पदार्थ को उसके साथ नहीं जोड़ा जा सकता, इसलिए उसे मुकदमे का सामना नहीं करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टैक्सी ड्राइवर के पास से कोई अपराधिक सामग्री बरामद नहीं हुई है. साथ ही उसने घटनास्थल से भागने का कोई प्रयास नहीं किया गया है. इन्ही तथ्यों के आधार पर एनडीपीएस अधिनियम (NDPS Act) के तहत अभियोजन और सजा के लिए कोई आधार नहीं है.