Advertisement

मृतक के परिवार को 50 लाख का मुआवजा, सड़क दुर्घटना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने MACT के फैसले को किया बहाल

मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने पीड़ित के परिवार को 50,41,289 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि घटना वर्ष 2018 की है, और पहले ही छह साल बीत चुके हैं, इसलिए अब कोई भी देरी पहले से ही तबाह परिवार की पीड़ा को और बढ़ा देगी.

Written by My Lord Team |Published : December 19, 2024 10:04 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसे में मृत व्यक्ति के परिजनों को 50 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का आदेश बरकरार रखा है. शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि संबंधित न्यायालय ने मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण नहीं किया है, जिससे उच्च न्यायालय का निर्णय 'पूरी तरह से अस्वीकार्य' है. अदालत ने पीड़ित के परिवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया, जो पहले मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) द्वारा तय किया गया था. मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने पीड़ित के परिवार को 50,41,289 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था.

सड़क दुर्घटना मामले में SC ने 50 लाख का मुआवजा रखा बरकरार

जस्टिस बीआर गवई एवं  जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का आदेश अजीब था. पीठ ने कहा कि हमें आश्चर्य है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 173 के तहत दायर पहली अपील में, उच्च न्यायालय ने मामले को नजरअंदाज कर दिया और एक संक्षिप्त आदेश द्वारा एमएसीटी द्वारा पारित फैसले को पलट दिया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिनियम की धारा 173 के तहत अपील, पहली अपील की प्रकृति की थी और (उच्च न्यायालय द्वारा) ‘कम से कम’ यह अपेक्षित था कि एमएसीटी के समक्ष रखे गए ‘मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण’ किया जाए. शीर्ष अदालत का फैसला पीड़ित के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर अपील पर आया, जिन्होंने अगस्त, 2023 में पारित उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी. पीठ ने कहा कि उसने मामले को उच्च न्यायालय द्वारा नए सिरे से विचार के लिए वापस भेजने पर विचार किया.

Also Read

More News

अदालत ने कहा कि चूंकि घटना वर्ष 2018 की है, और पहले ही छह साल बीत चुके हैं, इसलिए हमें लगा कि आगे की कोई भी देरी पहले से ही तबाह परिवार की पीड़ा को और बढ़ा देगी. पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने इस आधार पर निर्णय को रद्द कर दिया कि दावेदारों ने यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं पेश किया कि दुर्घटना मामले में शामिल ट्रक से हुई थी.

क्या है मामला?

मामले में पीड़ित मैहर तहसील में सहायक पोस्ट मास्टर के रूप में काम कर रहा था और 18 जून, 2018 को घर वापस लौटते समय वह गाड़ी चला रहा था, जब एक तेज रफ्तार ट्रक ने उसकी कार को टक्कर मार दी. दावेदारों ने कहा कि उसे रीढ़ की हड्डी टूटने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन 28 जून, 2018 को उसकी मौत हो गई. सतना जिले में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) ने पीड़ित की पत्नी और बेटे के दावे को स्वीकार कर लिया था. अधिकरण ने पीड़ित के परिवार को 50,41,289 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया.

एमएसीटी द्वारा पीड़ित के परिवार के सदस्यों को मुआवजा दिए जाने के बाद, बीमा कंपनी ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें लगता है कि उच्च न्यायालय का फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य है. एमएसीटी के इस निष्कर्ष को न्यायालय ने बहाल रखा कि मौत लापरवाही से चलाए जा रहे ट्रक के कारण हुई थी.