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ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए बार काउंसिल का रजिस्ट्रेशन शुल्क माफ करने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीआई रजिस्ट्रेशन के लिए लगने वाले शुल्क को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए माफ करने के लिए की याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : December 2, 2022 12:09 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की हैं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल ट्रांसजेंडर होने के आधार पर अगर बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन शुल्क में रियायत दी जाती है तो ये बढकर चिकित्सा क्षेत्र जैसे अन्य क्षेत्र में भी बढाया जाना चाहिए.

बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन के लिए एक शुल्क निर्धारित है, याचिकाकर्ता ने ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़े अधिवक्ताओं के लिए इस शुल्क को माफ करने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए विचार करने से भी इंकार कर दिया.

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हाशिये पर रहने वाला समुदाय

याचिकाकर्ता की और से याचिका में कहा गया कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति देश के सबसे हाशिये पर रहने वाला समुदाय हैं और उन्हे मुख्यधारा में लाने के लिए इस तरह की छूट की सहायता देकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने याचिका में दिए गए तर्को से असहमति जताते हुए कहा कि— याचिकाकर्ताओं को न्यायिक समीक्षा से जुड़े मापदंडों को समझना चाहिए. केवल ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए ही ​रजिस्ट्रेशन शुल्क माफ करने के लिए ही कैसे कहा जा सकता है ? फिर इसे महिलाओं, विकलांगों और हाशिए पर खड़े अन्य व्यक्तियों तक क्यों न बढ़ाया जाए?

न्यायिक समीक्षा के मानदंड

सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के शुल्क छूट की अनुमति दी जाती है, तो ऐसी शुल्क छूट को चिकित्सा क्षेत्र जैसे अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ाया जाना चाहिए. सीजेआई ने कहा कि लेकिन

न्यायिक समीक्षा के मानदंड अदालत को इस तरह के आदेश पारित करने की अनुमति नहीं देते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्को से असहमति जताते हुए याचिका को विड्रा करने का मौका दिया जिस पर याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को विड्रा करने का अनुरोध किया. सीजेआई की पीठ ने याचिका को विड्रा करना स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को बीसीआई के समक्ष प्रतिवेदन पेश करने की सलाह देते हुए याचिका को खारिज किया.

याचिका विड्रा

इस प्रकार, पीठ ने याचिका में कोई गुण नहीं देखा और याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष उचित प्रतिनिधित्व दाखिल करने की सलाह दी। तदनुसार, याचिका वापस ले ली गई मानकर खारिज कर दी गई।