Sedition Law Updates: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राजद्रोह कानून (Sedition Law) को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनवाई के लिए संविधान पीठ (Constitution Bench) के पास भेज दिया. अब पांच जजों की संविधान पीठ IPC की धारा 12A के तहत राजद्रोह के औपनिवेशिक युग के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने के केंद्र के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. केंद्र ने इस आधार पर मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने की मांग की थी कि संसद दंड संहिता के प्रावधानों को फिर से लागू करने की प्रक्रिया में है.
बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को चीफ जस्टिस के समक्ष कागजात पेश करने का निर्देश दिया ताकि कम से कम पांच जजों वाली पीठ के गठन के लिए प्रशासनिक पक्ष पर उचित निर्णय लिया जा सके.
ये याचिकाएं 1 मई को सुप्रीम कोर्ट के सामने आई थीं. तब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो दंडात्मक प्रावधान पर फिर से विचार करने पर परामर्श के अंतिम चरण में है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी. आपको बता दें, 11 अगस्त को औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों में बदलाव के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्र ने लोकसभा में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किए थे. इसमें अन्य प्रावधानों के अलावा राजद्रोह कानून को निरस्त करने और एक कानून पेश करने का प्रस्ताव था.
सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि नए कानून का मौजूदा मामलों पर कोई असर नहीं होगा.
अदालत ने कहा,
"संसद द्वारा विचार किए जा रहे नए कानून का पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होगा, नया कानून धारा 124ए के तहत अभियोजन को प्रभावित नहीं कर सकता है.
दरअसल, पिछले साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी जब तक कि एक उचित सरकारी फोरम इसकी दोबारा जांच नहीं कर लेता. साथ ही अदालत ने केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया था कि वो इस प्रावधान के तहत कोई नई एफआईआर दर्ज न करें.